मौलवी का कहना है कि मुस्लिमों को कोरोना वैक्सीन लेने से पहले फ़तवा का इंतज़ार करना चाहिए। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के दारूल उलूम देवबंद के मौलवी ने एक बयान दिया है।
दारुल उलूम देवबंद के उलेमा का कहना है कि दरोगा को दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए थी चाहे तो वह नौकरी छोड़ देते। शरीयत के हिसाब से उन्होंने बहुत बड़ा जुर्म किया है।
हिंदू समाज द्वारा मनाई गई पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद की रस्म तेरहवीं में पूर्व विधायक इमरान मसूद व शाजाद मसूद सहित परिवार के अन्य सदस्यों के शामिल होने पर उलमा ने कड़ा एतराज जताया है।
जावेद अख्तर जो माँग कर रहे हैं, यह पहले पहले भी होती आई है। देश के लोगों को इनपर ध्यान नहीं देना चाहिए। इससे किसी को कोई ऐतराज और परहेज नहीं होना चाहिए।
इत्तेहाद उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुफ्ती असद कासमी ने कहा है कि आम तौर पर जनवरी को ही नए साल के रूप में मनाया जाता है। लेकिन इस्लामी नजरिए के एतबार से इस्लाम का नया साल मोहर्रम से शुरु होता है और इस्लाम के अंदर मोहर्रम को ही नया साल माना जाता है।
यह फतवा दिवाली से कुछ दिन पहले ही आया है। ताकि मुस्लिम हिन्दू त्यौहार में शिरकत करने से दूर रहें। लेकिन ये जानने वाली बात है कि पटाखे शब-ए-बारात में भी बहुत स्तर पर इस्तेमाल होते हैं।
महबूबा मुफ्ती के ट्वीट पर दारुल उलूम जकरिया के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती शरीफ कासमी ने कहा कि यह महबूबा की अपनी सोच है। लेकिन मुस्लिम महिलाओं के लिए बुर्का जरूरी है। बिकिनी या कोई और पहनावे की इस्लाम और शरीयत कतई इजाजत नहीं देता।
"अगर कोई मुस्लिम महिला हिंदू से शादी करती है और बिंदी, बिछिया, मंगलसूत्र पहनती है, तो मुस्लिम मौलवी उसे हराम कहते हैं। लेकिन कई मुस्लिम पुरुष हमारी हिंदू बेटियों को लव जिहाद के नाम पर फँसाते हैं और उनसे बुर्का पहनने को कहते हैं, तो यह हराम नहीं है। यह उनके लिए उचित है।”