जवानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “अभी तक आपने सब कुछ अच्छे तरीक़े से संभाला हुआ है, आपका आर्मी कमांडर होने के नाते मुझे आप सभी पर गर्व है, जो भी चुनौती हमारे सामने आएगी हम उस पर अच्छी तरह से फ़तह पाएँगे।”
भारत में एक ब्यूरोक्रेट को मिलिट्री और सुरक्षा सम्बन्धी निर्णय लेने के लिए रखा जाता था। वो ब्यूरोक्रेट किसी भी क्षेत्र से आया हुआ हो सकता था और उसे सेना व सुरक्षा ऑपरेशन्स की कितनी समझ है, इससे कोई लेना-देना नहीं था। इसीलिए सीडीएस का पोस्ट क्रिएट करना आवश्यक था।
कारगिल युद्ध के बाद जब 2001 में तत्कालीन डिप्टी पीएम लाल कृष्ण अडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स (GOM) ने समीक्षा की तो पाया कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी रही है। तब इस बात पर ग़ौर किया गया कि...
सेना के सूत्रों के हवाले से ANI ने दावा यह भी किया है कि घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना ने भी अपनी सैन्य चौकियों से भारी कवर फायरिंग देते हुए सहयोग किया था।
ईद-उल-अजहा के मौके पर पाकिस्तान ने बीएसएफ से ईद की मिठाई लेने से इनकार कर दिया है। भारतीय जवानों ने बाघा-अटारी बॉर्डर पर पाकिस्तानी रेंजर्स को ईद की मिठाई दी लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास BAT के हमले को नाकाम करते हुए भारतीय सेना ने पाँच-सात घुसपैठिए मार गिराए। पाँच-सात पाकिस्तानी सेना के जवान/ आतंकवादी के शव अब भी एलओसी पर पड़े हैं। सेना ने सबूत के तौर पर चार शवों की सैटेलाइट तस्वीरें भी जारी की है।
केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास BAT के हमले को नाकाम करते हुए सेना ने 5-7 घुसपैठिए मार गिराए। 5-7 पाकिस्तानी सेना के जवान/आतंकवादी के शव अब भी एलओसी पर पड़े हैं। भारतीय सेना ने कहा है कि पाकिस्तानी सेना सफेद झंडे के साथ आकर इन शवों को ले जा सकती है।
भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि इस प्रकार की प्रतिक्रियाएँ सिर्फ सैन्य ठिकानों और पाकिस्तानी सेना की मदद से आने वाले घुसपैठिए आतंकवादियों के खिलाफ इस्तेमाल की जाती हैं और पाकिस्तान द्वारा भारतीय सेना पर लगाए जा रहे क्लस्टर इस्तेमाल करने के आरोप बेबुनियाद हैं।
तीनों आरोपितों ने काम पर लगने के साथ ही सेना के जवानों और कैंट क्षेत्र के अंदर की गतिविधियों को मोबाइल में रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया था। ये तीनों पाकिस्तानी जासूसों के लगातार सम्पर्क में थे और उन्हें सेना की गतिविधियों से जुड़ी सूचनाएँ भेजते थे।
सैनिकों की तैनाती और विभिन्न आदेशों से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने जैसे कुछ बड़े फैसलों को लेकर अटकलें जोरों पर है। सरकार का कहना है कि ये कदम आतंकी मंसूबों को नाकाम करने तथा सुरक्षा को और सुदृढ़ करने के मकसद से उठाए गए हैं। लेकिन, जम्मू-कश्मीर के नेताओं की बयानबाजी से अफवाहों का बाजार गरम है।