रणनीतिक भागीदारों को मूल उपकरण निर्माताओं के साथ मिलकर देश में इन पनडुब्बियों के निर्माण हेतु संयंत्र लगाने को कहा गया है। बताया जा रहा है ऐसा करने के पीछे देश को पनडुब्बियों के डिजाइन एवं उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।
भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए अब अच्छे मौके इसीलिए बन रहे हैं क्योंकि खाड़ी देशों में धीमी आर्थिक विकास के साथ ही उन्हें कम दामों पर विश्वसनीय रक्षा उत्पादों की तलाश है। भारत अब ये चीजें उचित मूल्य में उन्हें मुहैया कराने की क्षमता रखता है।
फायर करने के बाद 'धनुष' आर्टिलरी गन अपनी पोजिशन चेंज कर सकती है। इस गन का वजन 13 टन है। विशेष गोला-बारूद के साथ इसका रेंज 38 किलोमीटर हो जाता है। इसे चीन व पाकिस्तान से लगी सीमा पर तैनात किए जाने की उम्मीद है।
बीते वित्त वर्ष में एचएएल ने 11 सुखोई-30MKI और 7 तेजस फाइटर्स का निर्माण किया। उन्होंने 5 डोर्नियर-228 एयरक्राफ्ट्स, तीन चीता (लाइट) हैलीकॉप्टर और 15 ध्रुव (एडवांस लाइट) हैलीकॉप्टर्स का निर्माण किया। कुल मिलकर उन्होंने 41 एयरक्राफ्ट्स का निर्माण किया।
रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्ट्री ने इस वित्त वर्ष 1425 कोच का निर्माण कर एक नया रिकॉर्ड सेट किया। इस तरह से उसने लक्ष्य से ज्यादा कोच का निर्माण किया। चेन्नई स्थित इंडियन कोच फैक्ट्री ने तो कोच बनाने के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।