इस अप्रकाशित पुस्तक में यह भी खुलासा किया गया है कि जामवंत ने हनुमान को नहीं बल्कि जवाहरलाल नेहरू को उनका बल याद दिलाया था, इसके बाद ही वो स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे। साथ ही बताया गया था कि रावण ने मारीच नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह को स्वर्ण मृग बनाकर सीता माता के पास भेजा था।
कॉन्ग्रेस पार्टी परिवार की मुराद में इतना डूब गई है कि इतिहास को भी बदलने पर आमादा है। राजीव गाँधी को पार्टी की वेबसाइट पर मरते समय भारत का तत्कालीन प्रधानमंत्री बताया गया है जबकि सच्चाई यह है कि उस समय भारत के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर हुआ करते थे। इसके अलावा पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी को...
इन चुनावों में राजीव गाँधी यकायक मुद्दा बन गए- चुनावी भी, चर्चा का भी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भ्रष्टाचारी कहा, शेखर गुप्ता ने ‘डैशिंग, बाल-बच्चों वाला, युवा प्रधानमंत्री’, और सैम पित्रोदा के अनुसार उनकी जिंदगी में अर्थ ही राजीव गाँधी के भारत में कंधे पर कम्प्यूटर ढो कर लाने से आया।