झारखंड के लोहरदगा में अख्तर अंसारी के साथ 5 साल से लिव-इन-पार्टनरशिप में रह रही बालमुनी लोहरा को अपनी जान गँवानी पड़ी, क्योंकि अख्तर अंसारी ने ही उसे मौत के घाट उतार दिया।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए एक व्यक्ति को अपनी पूर्व लिव-इन पार्टनर को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। आरोपित व्यक्ति ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसे कोर्ट ने 1500 रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।
पंजाब हाई कोर्ट ने बिना तलाक दूसरी महिला के साथ लिव इन में रहने को अपराध बताया है। साथ ही अदालत ने लिव इन में रहने वाले जोड़े की पुलिस सुरक्षा की अपील भी ठुकरा दी है।
"विवाह संस्था किसी व्यक्ति को जो सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति, प्रगति और स्थिरता प्रदान करती है, वह कभी भी लिव-इन रिलेशनशिप द्वारा प्रदान नहीं की जाती है।"