Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाजहिंदू लड़की+मुस्लिम लड़का... शादी वैध नहीं, इस्लामी कानून भी नहीं देता मान्यता: मध्य प्रदेश...

हिंदू लड़की+मुस्लिम लड़का… शादी वैध नहीं, इस्लामी कानून भी नहीं देता मान्यता: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का जोड़े को सुरक्षा देने से इनकार

जबलपुर हाई कोर्ट ने एक हिंदू महिला और मुस्लिम महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह की इच्छा जताई थी।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की के बीच विवाह मुस्लिम कानून के अनुसार वैध विवाह नहीं है। कोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अंतर-धार्मिक विवाह के लिए पुलिस सुरक्षा की माँग को भी खारिज कर दिया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सोमवार (27 मई 2024) को ये फैसला सुनाया।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर मुख्य बेंच में जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने ये फैसला सुनाया। जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा कि मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की के बीच विवाह को मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अनियमित (या फासिद) विवाह माना जाएगा, भले ही उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह किया हो। हाई कोर्ट ने सोमवार (27 मई 2024) को अपने आदेश में कहा, “मुस्लिम कानून के अनुसार, किसी मुस्लिम लड़के का किसी ऐसी लड़की से विवाह वैध विवाह नहीं है जो मूर्तिपूजक या अग्निपूजक हो। भले ही विवाह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हो, लेकिन वो विवाह वैध नहीं माना जाएगा, इसे अनियमित (फासीद) विवाह ही माना जाएगा।”

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जबलपुर हाई कोर्ट ने एक हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह की इच्छा जताई थी। उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि वो दोनों अपना-अपना ही धर्म मानना जारी रखेंगे, जो एक-दूसरे का धर्म नहीं अपनाना चाहते। विवाह के बाद भी हिंदू महिला हिंदू धर्म को मानेगी और मुस्लिम पुरुष मुस्लिम धर्म को। ऐसे में इस जोड़े को पुलिस सुरक्षा दी जानी चाहिए, ताकि वो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह का रजिस्ट्रेशन करा सकें।

वकील ने कोर्ट को ये भी बताया कि दो धर्मों के लोग पर्सनल लॉ के तहत विवाह नहीं कर सकतें, लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत ये वैध होगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट को धार्मिक कृयाकलापों के तहत चुनौती तो नहीं दी जा सकती, लेकिन पर्सनल लॉ के तहत ऐसा विवाह मान्य नहीं होगा। ऐसे में ये विवाह एक अनियमित (फसीद) विवाह होगा। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले (मोहम्मद सलीम और अन्य बनाम शम्सुद्दीन) का रेफरेंस दिया।

हाई कोर्ट ने कहा, “जो विवाह पर्सनल लॉ के तहत मान्य नहीं, वो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत भी मान्य नहीं हो सकती। स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा-4 के हिसाब से विवाह तभी हो सकता है, जब दोनों में से कोई एक दूसरे का धर्म स्वीकार कर ले।” हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि वो बिना विवाह के साथ नहीं रहना (लिव-इन-रिलेशनशिप में) चाहते और न ही हिंदू लड़की इस्लाम अपना रही।

हाई कोर्ट में हिंदू महिला के परिजनों ने इस विवाह का विरोध करते हुए कहा था कि अगर ये विवाह हुआ, तो समाज में उनका बहिष्कार कर दिया जाएगा। साथ ही परिवार ने कहा कि लड़की घर से जाते समय ज्वैलरी भी साथ लेकर गई थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -