Thursday, May 2, 2024
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बीवी-बच्ची के रहते दूसरी महिला के साथ रहने लगा, हाई कोर्ट ने माना अपराध: कहा- बिना तलाक लिए लिव इन में रहना दूसरी शादी जैसा

"ऐसा प्रतीत होता है कि व्यभिचार के किसी भी आपराधिक मुकदमे से बचने के इरादे से यह याचिका दायर की गई। याचिका के पीछे का असली इरादा अपने आचरण पर अदालती मान्यता हासिल कर लेना है।"

पंजाब हाई कोर्ट ने बिना तलाक दूसरी महिला के साथ लिव इन में रहने को अपराध बताया है। साथ ही अदालत ने लिव इन में रहने वाले जोड़े की पुलिस सुरक्षा की अपील भी ठुकरा दी है। अदालत ने कहा है कि बगैर तलाक शादीशुदा मर्द का दूसरी औरत के साथ लिव इन में रहना दूसरी शादी जैसा है।

जस्टिस कुलदीप तिवारी ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे पटियाला के जोड़े की याचिका ठुकराते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 494/495 के तहत द्विविवाह अपराध है। कोर्ट ने पाया कि पुरुष याचिकाकर्ता पहले से शादीशुदा है और उसकी दो साल की बेटी भी है।

याचिका खारिज करते जस्टिस तिवारी ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि व्यभिचार के किसी भी आपराधिक मुकदमे से बचने के इरादे से यह याचिका दायर की गई। याचिका के पीछे का असली इरादा अपने आचरण पर अदालती मान्यता हासिल कर लेना है।”

याचिका में लिव इन में रह जोड़े ने अदालत से सुरक्षा माँगते हुए कहा था कि उनके रिश्ते की वजह से उन्हें जान का खतरा है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि पति/पत्नी से तलाक लिए बगैर एक साथ रहने वाले जोड़े को ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में रहने या विवाह के तौर पर मान्यता नहीं दी जा सकती है।

हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी पहली पत्नी से कानूनी तौर पर तलाक लिए बगैर ही दूसरी महिला के साथ रह रहा है। इस वजह से उसकी पहली शादी का अस्तिव अभी बना हुआ है। कोर्ट ने कहा महिला (लिव इन पार्टनर) के साथ याचिकाकर्ता पुरुष वासनापूर्ण जीवन जी रहा है। आईपीसी की धारा 494/495 के तहत यह दूसरी शादी करने जैसा अपराध माना जाएगा। इसमें जुर्माने के साथ अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है।

इस जोड़े ने हाई कोर्ट को दी याचिका में कहा था कि वे सितंबर 2023 से ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में हैं। पुरुष साथी के परिवार ने उनके रिश्ते को मान लिया है, लेकिन महिला साथी के रिश्तेदार इसके विरोध में हैं। जोड़े को उनकी तरफ से धमकियाँ दी जा रही है। अपनी सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए इस जोड़े ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने इस जोड़े के जान को खतरा होने के दावों को निराधार करार दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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