जब भी राम मंदिर को देखें, इसे सिर्फ हिंदुओं की आस्था का प्रतीक न मानें। यह प्रतीक है उन बलिदानियों का भी, जिन्होंने अपनी दुधमुँही बच्ची को छोड़ राम नाम के लिए सीने पर गोली खाई। यह प्रतीक है उनका भी, जिनके परिवार वालों को आज तक उनका अंतिम दर्शन न हो सका।
अयोध्या में जब भी राम मंदिर जाएँ, अपने आराध्य रामलला को याद करें… साथ में उनको भी याद करें, जिन्होंने अपना कल न्योछावर कर दिया, आपके आज के हिंदुत्व की गाथा के लिए। यहाँ पढ़ें उन बलिदानियों की कहानियाँ, करें उन्हें नमन!
रानियाँ मुगल फ़ौज से बचने के लिए सोनारपुरवा में छिपी हुई थीं। यहाँ पहुँच कर औरंगज़ेब के हमराहों ने पहले इलाके को लूटा और फिर रानियों का उनके सेवकों सहित…
रक्तदान, गरीब बच्चों की पढ़ाई, धर्म के लिए संघर्ष करने वालों का सम्मान - कोठारी बंधुओं की स्मृति में बहन पूर्णिमा सब करती हैं। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी भक्तों-जवानों…
कोठारी बंधुओं की स्मृति में चलने वाली संस्था 'राम शरद कोठारी स्मृति संघ' अयोध्या में कैंप लगाने जा रही है। इसमें श्रद्धालुओं के लिए चाय-नाश्ते का निशुल्क प्रबंध होगा।