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बलिदानियों को नमन🙏
जब भी राम मंदिर को देखें, इसे सिर्फ हिंदुओं की आस्था का प्रतीक न मानें। यह प्रतीक है उन बलिदानियों का भी, जिन्होंने अपनी दुधमुँही बच्ची को छोड़ राम नाम के लिए सीने पर गोली खाई। यह प्रतीक है उनका भी, जिनके परिवार वालों को आज तक उनका अंतिम दर्शन न हो सका।
अयोध्या में जब भी राम मंदिर जाएँ, अपने आराध्य रामलला को याद करें… साथ में उनको भी याद करें, जिन्होंने अपना कल न्योछावर कर दिया, आपके आज के हिंदुत्व की गाथा के लिए। यहाँ पढ़ें उन बलिदानियों की कहानियाँ, करें उन्हें नमन!
कैप्टन अंशुमान सिंह देश के लिए हो गए बलिदान, उनकी पत्नी की तस्वीर पर अमजद कर रहा अश्लील टिप्प्णी: NCW ने कहा- कार्रवाई कर...
सियाचिन ग्लेशियर में सेना के टेंटों में लगी आग से साथी जवानों को बचाने के लिए कैप्टन अंशुमन सिंह बलिदान हो गए थे। उन्हीं की पत्नी पर अमजद ने अभद्र टिप्पणी की।
रानियों के काट डाले शीश, शिवलिंग पर निशान, कुएँ से निकले नरमुंड… जब राम जन्मभूमि को बचाने के लिए बाबर के बाद औरंगज़ेब से...
रानियाँ मुगल फ़ौज से बचने के लिए सोनारपुरवा में छिपी हुई थीं। यहाँ पहुँच कर औरंगज़ेब के हमराहों ने पहले इलाके को लूटा और फिर रानियों का उनके सेवकों सहित सिर काट डाला।
घसीट कर सड़क पर ले गए, एक के सीने और एक के सिर में मारी गोली: राम मंदिर के लिए बलिदान हो गए कोठारी...
रक्तदान, गरीब बच्चों की पढ़ाई, धर्म के लिए संघर्ष करने वालों का सम्मान - कोठारी बंधुओं की स्मृति में बहन पूर्णिमा सब करती हैं। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी भक्तों-जवानों को कराया चाय-नाश्ता।
रुई में बाँधा शव, तेल डाल जला दिया, निहत्थों के सीने पर दागी गोली : कारसेवक बलिदानियों को याद कर रो पड़ीं साध्वी ऋतंभरा,...
प्रभु श्रीराम को उनका सही स्थान मिलना या उनका मंदिर बनना इतनी आसान बात नहीं थी। ये संभव हो पाया है सिर्फ कारसेवकों के बलिदान से।
सिर में गोली मारी, जेल में ठूँसा, टॉर्चर किया… 32 साल मौत से जूझने के बाद चल बसे कारसेवक जयराज यादव: बेटियाँ बोलीं –...
"पापा का लगभग हर दिन सिर जोर से दर्द करने लगता था। वो दर्द से चीखने लगते थे। कई बार तो बेहोश भी हो जाते थे। इसी वजह से उन्हें कहीं अकेले नहीं भेजा जाता था।"
कारसेवकों की सेवा में जुटे थे ग्रामीण, गाँव को घेर मुलायम की पुलिस ने की फायरिंग: महिलाओं से हुई थी बदसलूकी, सत्यवान सिंह हो...
कारसेवकों को पकड़ने गाँव में पहुँची पुलिस का विरोध करते हुए 22 अक्टूबर 1990 को हुए नरसंहार में बलिदान हो गए थे बस्ती के रामभक्त सत्यवान सिंह।
राम मंदिर के पहले बलिदानी, 16 साल के राम चन्दर यादव: कारसेवकों को बचाने गए, पुलिस ने सिर में मारी गोली, घर पर नहीं...
मुलायम सरकार में 22 अक्टूबर 1990 को हुआ था रामभक्तों का पहला नरसंहार। बस्ती जिले के पहले नाबालिग बलिदानी का नाम था राम चन्दर यादव।
कोलकाता के घर-घर में ‘पीला चावल’ भेज रहे हैं बलिदानी कोठारी बंधुओं के मित्र-परिजन, अयोध्या में भी लगाएँगे जलपान का कैंप
कोठारी बंधुओं की स्मृति में चलने वाली संस्था 'राम शरद कोठारी स्मृति संघ' अयोध्या में कैंप लगाने जा रही है। इसमें श्रद्धालुओं के लिए चाय-नाश्ते का निशुल्क प्रबंध होगा।
पिता ने राम मंदिर के लिए खाई गोली, इंतजार करते-करते माँ का राम नवमी पर हुआ देहांत: प्राण प्रतिष्ठा का न्योता पाकर भावुक हुईं...
परिवार बताता है कि अंतिम संस्कार तक के लिए संजय सिंह का शव उन्हें घर पर नहीं पहुँचाया गया था। बेटियाँ उस समय मात्र 2 साल और 45 दिन की थीं।
सीने में गोली दागी, ज़िंदा थे तभी लाशों के साथ गाड़ी में ठूँसा, विधवा से बदसलूकी: भजन गा रहे थे कारसेवक महावीर अग्रवाल, परिवार...
लाशों को समेटने के चक्कर में पुलिस वालों ने कई घायल कारसेवकों को भी वाहनों में लाद लिया था और जिन्दा ही सरयू नदी में फेंक दिया था। बकौल अभिषेक, उनके पिता को भी गंभीर अवस्था में घायल हालत में ही कई लाशों के बीच ट्रक में भर लिया गया था।