बीते दिनों पीड़ित नन का समर्थन करने वाली पाँच ननों में से चार को कुराविलंगद कॉन्वेंट छोड़ने को भी कहा गया था। जाहिर है कि आरोपी बिशप के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन करने वाले ननों की सामूहिक ताकत को तोड़ने की साजिश रची जा रही है।
"मेरी हत्या हो सकती है। मरना तो वैसे भी है। शायद हत्या ही मेरी नियति में है। इसके लिए एफसीसी और स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार होगा। मैं यहाँ कॉन्वेंट में रहूँगी। मैंने पुलिस से सुरक्षा भी माँगी है। लेकिन उन्होंने अब तक कुछ नहीं किया है।”
दुष्कर्म में आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ पिछले साल सितंबर में हुए विरोध-प्रदर्शन में शामिल 5 ननों में से एक लूसी कलपूरा हैं। इसके कारण FCC ने उन्हें बर्खास्त कर 17 अगस्त तक कॉन्वेंट छोड़ने को कहा था। इसके खिलाफ उन्होंने वेटिकन में अपील कर रखी है।
इससे पहले लूसी कलपूरा को कॉन्वेंट में बंधक बनाने और प्रार्थना से रोके जाने का मामला सामने आया था। लूसी ने बताया कि सोमवार की सुबह जब प्रार्थना के लिए तैयार हुई तो कॉन्वेंट से निकल नहीं पाई। उसे बाहर से बंद कर दिया गया था।
लूसी ने बताया कि वह पिछले दो दिनों से कॉन्वेंट में नहीं थीं। रविवार को लौटी। सोमवार की सुबह जब प्रार्थना के लिए तैयार हुई तो कॉन्वेंट से निकल नहीं पाई। उसे बाहर से बंद कर दिया गया था।
इस वर्ष की शुरुआत में चार ननों का सिर्फ़ इसीलिए ट्रांसफर कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने बलात्कार आरोपित पादरी के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किया था। मुलक्कल को पिछले वर्ष सितम्बर में गिरफ़्तार किया गया था। जमानत पर बाहर आने के बाद अनुयायियों ने बड़ी संख्या में इकठ्ठा होकर उसका स्वागत किया था।
केरल में तब सीपीएम की ही सरकार थी, जब हिन्दू देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें बनाने वाले चित्रकार एमएफ हुसैन को 'राजा रवि वर्मा अवॉर्ड' देने का निर्णय लिया गया था। इसे लेकर केरल की वामपंथी सरकार की काफ़ी आलोचना भी की गई थी।
भारत में ननों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और दशकों से चर्च की चाहारदिवारियों के बीच में चल रहे पादरियों के कुकर्मों की पोल खोलती एक डरावनी दास्तान। पधियों उन पीड़ित ननों की जुबानी।