"सीएए और एनआरसी को अलग-अलग देखने की जरूरत है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के दुखी लोगों को यदि भारत में सुविधाएँ मिलती हैं तो इसमें बुराई क्या है।"
जब एक पत्रकार ने अरुंधति से पूछा कि क्या विरोध-प्रदर्शन के कुछ परिणाम निकलेंगे तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। उम्मीद जताई कि 'सभी लोग आज़ाद हो जाएँगे।' कहा कि विरोध कर रहे लोग कभी भी पीछे नहीं हटेंगे।
मुल्तान डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने फ़ैसला लिया है कि जो भी वकील बार काउंसिल का चुनाव लड़ेगा, उसे एक एफिडेविट देना होगा। इस एफिडेविट के माध्यम से उम्मीदवारों को इस्लाम के प्रति अपनी आस्था की शपथ लेनी होगी।
IIM अहमदाबाद के 90 से अधिक छात्रों ने CAA के समर्थन में एक याचिका दायर की है। इन पूर्व छात्रों का कहना है कि CAA के साथ NRC लागू किए जाने से देश में किसी भी समुदाय को कोई खतरा नहीं है और इसके विरोध में झूठ और अफवाहें सिर्फ हिंसा फैलाने के लिए गढ़े जा रहे हैं।
यह मैथिली की खूबसूरती है कि 'हम देखेंगे' की 'बुतपरस्ती' सगुण-निर्गुण ब्रह्म में बदल जाती है। लेकिन, फैज कट्टर पाकिस्तानी थे। यह बात सालों पहले हरिशंकर परसाई दुनिया को बता चुके हैं।
CAA के विरोध की आड़ में इस्लामिक कट्टरपंथियों और वामपंथियों ने हिंदू विरोधी नारे लगाए। 'फक हिंदुत्व' लिखकर 'ऊँ' चिह्न का भरी दुनिया के सामने अपमान किया। अब इसी इस्लामिक भीड़ ने शाहीन बाग के प्रोटेस्ट में जिन्ना वाली आजादी के नारे लगाए और वहाँ किसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई।
पिछले दिनों राहुल गॉंधी ने कहा था कि उनका नाम राहुल सावरकर नहीं है। अब उन्हें नया नाम मिल गया। उमा भारती ने उन्हें और उनकी प्रियंका गॉंधी को जिन्ना बताते हुए कहा है कि दोनों CAA के नाम पर मुस्लिमों को डरा रहे हैं।
सबा नकवी का कहना है कि लोगों को सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद रखनी चाहिए। यदि शीर्ष अदालत CAA के हक में फैसला सुनाती है तो भी इसके खिलाफ राजनीतिक और नैतिक लड़ाई जारी रखनी चाहिए।
कैलाश विजयवर्गीय ने वीडियो जारी कर कहा था कि दासगुप्ता का घेराव करने वालों में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (SFI) और TMC के गुंडे शामिल थे। दासगुप्ता के व्याख्यान कार्यक्रम की जगह SFI, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) छात्रसंघ के विरोध के कारण पहले से ही बदल दी गई थी, बावजूद इसके उन्हें छात्रों ने बंधक बना लिया था।
तिरंगा यात्रा में 'भारत माता की जय' के नारे लग रहे थे। एक और बात जानने लायक है कि जिस कुरैशी मोहल्ले में पत्थरबाजी और हमला हुआ है, उसी जगह पर एक वर्ष पूर्व भी ऐसी घटना हुई थी। उस दौरान राजपूत समाज के एक समारोह पर हमला किया गया था।