90 के दशक में कश्मीरी पंडितों का नरसंहार पहली बार नहीं हुआ था। 14वीं शताब्दी में सूफी संतों से मिली सीख पर सिकंदर बुतशिकन ने इस काम को धड़ल्ले से किया था।
बबेले जो काम कभी पत्रकारिता का चोला ओढ़ कर करते थे, वह अब खुलकर करने लगे हैं। कश्मीरी हिंदुओं को लेकर ट्विटर पर उन्होंने जो दस्त की है, वह इसका ही एक नमूना है।