आचार्य प्रणवानंद महाराज द्वारा सन् 1917 में स्थापित BSS पिछले 107 वर्षों से जनसेवा में संलग्न है। वो बाबा गंभीरनाथ के शिष्य थे, स्वतंत्रता के आंदोलन में भी सक्रिय रहे।
सेल्युलर जेल में हिंदू क्रांतिकारी बहुसंख्यक थे। उनको नियंत्रित करने और यातनाएँ देने के मकसद से जेलर बारी ने मुसलमान अपराधी कैदियों को वार्डर, पहरेदार और हवलदार वगैरह नियुक्त कर दिया था।
हिना अली पर बदायूँ में साजिद-जावेद द्वारा दोनों हिंदू बच्चों आयुष और आहान की हत्या का ऐसा प्रभाव पड़ा, कि उन्होंने इस्लाम त्यागने का फैसला किया और सनातन परंपरा को अपनाते हुए अपने हिंदू प्रेमी महेश से विवाह कर लिया।