गरीब परिवार की मासूम लड़कियों को भारत में काम दिलवाने और उनके परिजनों को रुपए का लालच देकर वे किशोरियों व युवतियों को भारत लाते हैं। फिर यहाँ उनसे देह व्यापार करवा कर उनका शोषण करते हैं।
आरोप है कि उसने ही दोनों बच्चियों को अपने दुकान पर बंधक बना लिया था। लड़कियों के विरोध करने पर आरोपित जफर उनके हाथ पैर बाँध कर उन्हें बेहरमी से पीटता और चिल्लाने पर दाेनाें काे बार-बार ठंडे पानी से नहला देता था।
छापेमारी के दौरान 10 मानव तस्करी में लिप्त अपराधियों को गिरफ्तार किया गया था। 4 बांग्लादेशी लड़कियाँ भी बरामद की गई थीं, जिन्हें शेल्टर होम में रखा गया है।
3 सालों में 450 यहाँ गर्भवती महिलाओं को भर्ती किया गया। लेकिन सिर्फ़ 170 बच्चों का ही रिकॉर्ड दर्ज है। बाकी 280 शिशुओं के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। उनका क्या हुआ?
केंद्र सरकार की यह पहल समाज के वंचित, शोषित वर्ग के साथ ही उन लोगों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है जो अब तक किसी भी प्रकार की वित्तीय सुविधाओं के दायरे में और सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने से वंचित रहे हैं।