Friday, April 26, 2024
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भूख, पिटाई, शोषणः नफीसा ने बताया कैसे औरतों की जिंदगी जहन्नुम बनाता है शफी, कई महिलाओं ने की घर वापसी

नफीसा खुशकिस्मत की थी कि एक दिन भागकर अस्पताल पहुँच गई। वहाँ आपबीती सुनाई और घर जाने के लिए मिन्नते कीं। दुबई में मौजूद इंडियन इमिग्रेशन अथॉरिटी के प्रयासों से उसे बचाया गया।

एक माँ के लिए अपने बच्चों का पेट भरना सबसे पहली प्राथमिकता होती है। इसके लिए वह खुद हर पीड़ा झेल लेती है। हैदराबाद की नफीसा (बदला हुआ नाम) के लिए भी उसके बच्चे सबसे पहले थे। एक समय तक दो-दो नौकरी से 8000 प्रति माह उपार्जन कर उसने बच्चों का पेट भरा। लेकिन कोविड के कारण उपजी परिस्थितियों में उसके रोजगार छिन गया और वह एक धोखेबाज ट्रैवल एजेंट शफी के जाल में फँसने को मजबूर हो गई। 

शफी ने उसकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए उसे दुबई भेजने का लालच दिया। कहा कि उसे वहाँ 40,000 रुपए की नौकरी मिलेगी। वहाँ जाकर उसे नौकरी तो मिली लेकिन सैलरी के बदले उसे असहनीय प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। भयावह बात यह है कि शफी ने केवल नफीसा की हँसती-खेलती जिंदगी को जहन्नुम में नहीं झोंका, बल्कि उसके साथ कई महिलाओं को भेजकर भी वही हश्र करवाया जो नफीसा का हुआ।

दुबई में भारतीय आव्रजन प्राधिकरण (Indian immigration authorities) के प्रयासों के बाद नफीसा 4 माह बाद हैदराबाद अपने घर लौट आई है। 27 साल की इस महिला ने भारत पहुँच कर आपबीती सुनाई। पीड़िता ने बताया कि शफी ने उसे दुबई के पार्लर में 40,000 की सैलरी दिलाने का वादा किया था। उसे लगा कि दिल की बीमारी से जूझ रही बड़ी बेटी के इलाज के लिए उसने जो 2 लाख उधार लिया था वो सब इससे चुक जाएगा। कोई भविष्य में फिर उससे तकादा करने नहीं आएगा। उसे कहीं ब्याज नहीं देना होगा। यही सब सोच कर नफीसा तुरंत मान गई।

उसने मोइनपुरा निवासी शफी को संपर्क किया और दुबई जाने की इच्छा जताई। शफी ने फौरन अवैध कागजों का इंतजाम किया और उसे दुबई भेज दिया। वहाँ जाने से पहले तक नफीसा उस शफी को इतनी मदद करने के लिए दुआएँ दे रही थीं, लेकिन उसे नहीं पता था कि वहाँ उसकी जिंदगी कितनी बदलने वाली है।

द न्यूज मिनट में प्रकाशित उसकी आपबीती के अनुसार वह 12 सितंबर दुबई पहुँची थी। लेकिन, वहाँ जाकर उसे जिस महिला ने काम दिया। उसने उसकी जिंदगी जहन्नुम से बदतर बना दी। नफीसा बताती है कि वह महिला उसे मारती थी और घर का सारा काम सुबह 5 बजे से 2 बजे तक करवाती थी। एक दिन तंग आकर जब उसने काम करने से मना किया और अपनी पगार माँगी तो उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया और खाना-पीना देना बंद कर दिया।

4 महीने तक नफीसा ने यह दुख झेला। बिना पगार एक अंजान देश में काम किया। 30 लोगों के साथ वह एक अकेले कमरे में रही, जहाँ शौचालय केवल एक था। उनकी कॉन्ट्रैक्ट एजेंसी उन सबको हर रोज काम के लिए ले जाती थी।

वह बताती है कि इस एजेंसी के कार्यालय में रहते हुए उन्होंने 5 दिन बाथरूम के नल से पानी पी पीकर गुजारे। एक दिन खुशकिस्मती से वह भागकर अस्पताल पहुँच गई। वहाँ आपबीती सुनाई और घर जाने के लिए मिन्नते कीं। बाद में जाकर दुबई में मौजूद इंडियन इमिग्रेशन अथॉरिटी के प्रयासों से उसे बचाया गया। उसके साथ 25 और महिलाएँ बच पाईं।

दुबई से लौटी रेशमा की कहानी

नफीसा की भाँति 20 साल की रेशमा (बदला हुआ नाम) भी हालातों से परेशान होकर दुबई गई थी। उसकी मजबूरी थी कि उसके शौहर का स्वास्थ्य सही न होने के कारण वह दो साल से घर में ही रहते थे और उनके इलाज में 1 लाख का खर्चा आना था। उसे कुछ भी करके पैसे इकट्ठा करने था। इसीलिए शफी से मिल कर उसने दुबई जाने की इच्छा व्यक्त की। वह चाहती थी कि वह जाकर पैसे कमाए और सर्जरी के लिए पर्याप्त राशि जुटा सके। पहली बार में उसका वीजा रिजेक्ट हो गया, लेकिन बाद में किसी प्रकार वह वहाँ पहुँच गई।

वह बताती है,” सबसे पहली बार में हैदराबाद एयरपोर्ट अधिकारियों ने मेरा वीजा रिजेक्ट करके मुझे वापस भेज दिया था। उन्हें लगा था कि मैं छोटी हूँ और मेरे वहाँ जाने में कुछ गड़बड़ हो सकती है। वह कहती है कि शायद पहली बार में रिजेक्ट हुआ वीजा खुदा का इशारा था कि मैं अपना फैसला बदल लूँ, लेकिन शफी ने मुझपर दबाव बनाया और भविष्य व उधारी की बात कर करके वहाँ भेजने के लिए मना लिया। मैं चली गई।”

रेशमा का यह फैसला उस पर बहुत भारी पड़ा। अपनी मालिक द्वारा उसे असहनीय प्रताड़ना दी गई। वह कहती है कि उन्हें भूखा रखा गया और अमानवीय स्थिति में काम करवाया जाता रहा। जब शफी से उसने लौटने को कहा तो उसने उससे गाली-गलौच करके उसके शौहर से डेढ लाख रुपए माँगे।

ट्रैवल एजेंट हुआ गिरफ्तार

शफी का यह धोखाधड़ी का धंधा ज्यादा दिन नहीं चला। 11 दिसंबर 2020 को एक पीड़ित की बहन की शिकायत पर शलिबंद पुलिस ने उसे आईपीसी की धारा 420 के तहत गिरफ्तार कर लिया। महिला तस्करी का यह पूरा मामला उस समय जानकारी में आया जब शिकायतकर्ता ने मजलिस बचाओ तहरीक पार्टी के नेता अमजद खान को संपर्क किया। अमजद चूँकि पहले भी बाहरी देशों में फँसे लोगों की मदद कर चुके थे, तो उन्होंने यह मामला उठाया और कई पीड़िताएँ बचाई गईं।

अब तक 10 महिलाएँ हैदराबाद लौट चुकी हैं। वह कहते हैं कि सरकार ऐसे धोखेबाजों के ख़िलाफ़ बहुत नरम रवैया अपनाती है और इनके ख़िलाफ़ जमानती धाराओं में मामले दर्ज होते हैं। कई महिलाओं की इसी तरह तस्करी हुई और हर बार पुलिस ने उन्हीं धाराओं में केस दर्ज करके आरोपितों को छोड़ दिया गया।

हैदराबाद के 5 परिवारों ने लगाई थी भारत सरकार से गुहार

बता दें कि इससे पहले ट्रैवल एजेंट शफी के जाल में फँसी 5 महिलाओं के परिवार ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई थी। एएनआई से बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अमजद उल्लाह खान ने इनके बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था, “तेलंगाना हैदराबाद स्थित मिसरीगंज के लोकल एजेंट सैफी ने हैदराबाद की ही 5 महिलाओं को दुबई के एक शॉपिंग मॉल में नौकरी दिलाने की बात कही थी। अक्टूबर 2020 में उसने पाँचों महिलाओं को तीन महीने के वीज़ा पर दुबई भेजा और फिर उन्हें दुबई की लेबर रिक्रूटमेंट कंपनी में काम करने वाले अल सफीर को सौंप दिया। इसके बाद प्रत्येक महिला को 2 लाख रुपए में बतौर घरों में काम करने वाली नौकरानी, अरब परिवारों को बेच दिया गया।” 

महिलाओं के हालात का ज़िक्र करते हुए अमजद उल्लाह ने बताया, “इन महिलाओं को पर्याप्त खाना और रहने की जगह दिए बिना ही इनसे 15 घंटे तक काम करवाया जाता है। इन महिलाओं को बातें नहीं सुनने पर यातनाएँ दी जाती हैं और अक्सर यौन शोषण तक किया जाता है। ये जब से दुबई गई हैं तब से ही इन्हें वेतन भी नहीं मिला है।” 

उन्होंने भारत सरकार से निवेदन किया था कि वह जल्द से जल्द इस मामले में दखल देकर मदद करें। अबू धाबी, यूएई में मौजूद भारतीय दूतावास और दुबई में मौजूद भारतीय वाणिज्य दूतावास मदद के लिए आगे आए ताकि इन महिलाओं को इस मुश्किल से बचाया जा सके और इनकी देश वापसी संभव हो सके। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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