Friday, November 22, 2024

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Kite Flying

‘काय पो छे’ हो या ‘भक काटे’: पतंग उड़ाने का असली मजा तो गुजरात में है

दादियाँ दादा जी को अपने समय की पतंगबाजी याद दिलाती हैं और दादा ताव में आकर खड़े हो जाते हैं दादी को ये दिखाने कि मैं अभी बूढ़ा नहीं हुआ हूँ। अब भी ये लड़के मेरी पतंग के आगे नहीं टिक सकते और पतंग कटते ही, 'सालो चाइनीज़ माँझो वापरे छे' कहकर वापस आकर बैठ जाते हैं।

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