जीत का शंखनाद फूँका जा रहा है। देश को 'संघी-सांप्रदायिक' ताकतों से छुटकारा मिल गया है। समाजवाद-लालवाद-बेटावाद-दाढ़ीवाद से लेकर दीदी-बुआवाद सब मिलकर अब माल-वाद की मलाई खाएँगे
बहुमत के साथ बीजेपी सरकार जब भी चुनाव जीतती है तब ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा गर्माने लगता है, लेकिन जब चुनावों में कोई अन्य सरकार जीतती है तो ईवीएम पर बात तक नहीं की जाती
पिछले लोकसभा चुनावों का परिणाम याद दिलाते हुए बता दें कि 2014 में लोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी
दरअसल 14 जनवरी को पीटीआई ने एक ख़बर अपडेट की थी, जिसके बाद इस ख़बर को आधार बनाकर मुख्यधारा की मीडिया वेबसाइटों ने प्रधानमंत्री के हेलीपेड के लिए 1000-1200 पेड़ काटे जाने की ख़बर को प्रमुखता से प्रचारित किया था।
एक तरफ, कॉन्ग्रेस उस सीट से चुनाव लड़ने के लिए नए नाम पर विचार कर रही है, तो दूसरी तरफ प्रिया दत्त ने इस बात का ख़ुलासा नहीं किया है कि वो कहाँ से और किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगी।
भाजपा अध्यक्ष ने बैठक में कहा कि शिवसेना से गठबंधन के लिए प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन अगर चीजें सही नहीं रही तो हमे अकेले चुनाव में उतरने की तैयारी भी शुरू कर देनी चाहिए।