डर तो इस बात से भी लगता है कि हिन्दू-मुस्लिम दंगे/झगड़े मे 'समुदाय विशेष' की जगह 'मुस्लिम समुदाय' लिखने पर मुझे साम्प्रदायिक कह दिया जाएगा। लेकिन क्या करें साहब, मन मारकर जी रहे हैं, क्योंकि यहाँ तो हिन्दू नाम होना ही साम्प्रदायिक हो जाने की निशानी है।
इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उनका ताज़ा बयान एमनेस्टी से पैसे लेकर उसके द्वारा गढ़ी गई फ़र्ज़ी स्क्रिप्ट पढ़कर देश का माहौल ख़राब करने और विरोधियों को फ़र्ज़ी मुद्दा थमाने का हो।
नसीरुद्दीन शाह ने ताजा विवादित बयान देते हुए कहा है कि आज के भारत में उन्हें अपने बच्चों को लेकर काफी डर महसूस होता है। अपने कथित डर को बुलंदशहर हिंसा से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि आज गाय की पुलिस ऑफिसर से ज्यादा अहमियत है।