अर्थशास्त्री बनर्जी ने कॉन्ग्रेस को झटका देते हुए कहा है कि वो नहीं मानते हैं कि 'न्याय योजना' एक अच्छी तरह तैयार की गई योजना थी। साथ ही उन्होंने इस योजना की रूपरेखा तैयार करने के लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार बताने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के लिए इनकम टैक्स बढ़ाना होता।
"इस साल के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर ग़रीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है। मात्र दो दशक में उनके नए प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह बदल दिया है। विकास अर्थशास्त्र वर्तमान में शोध का एक प्रमुख क्षेत्र है।''
रघुवंश ने कहा कि जब मनरेगा को लागू किया गया था तब वह यूपीए सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री थे। उनके मुताबिक अगर वह दोबारा से सत्ता में आए तो इस योजना का विस्तार किया जाएगा।
फॉर्म पर कॉन्ग्रेस के चुनाव चिन्ह के साथ-साथ कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की भी फोटो छपी थी। जब ग्रामीण-जन स्थानीय सरकारी कार्यालय में अपने फॉर्म जमा करने के लिए पहुँचे, तो उन्हें पता चला कि उन्हें जो फॉर्म वितरित किए गए वो नकली थे और इनका वितरण केवल उन्हें धोखा देने के लिए किया गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि इस तरह की घोषणा वोटरों को रिश्वत देने की कैटगरी में क्यों नहीं आती और क्यों न पार्टी के खिलाफ पाबंदी या दूसरी कोई कार्रवाई की जाए? कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से भी जवाब माँगा है।
पित्रोदा कॉन्ग्रेस की घोषणापत्र तैयार करने वाली समिति के सदस्य हैं, और उनकी अगुआई वाले रहे योजना आयोग को वापिस लाने का वादा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी कर चुके हैं।
TV डिबेट में अभिजित बनर्जी को भेजना यह दिखाता है कि या तो राहुल में delegtation skills का अभाव है और या फिर कॉन्ग्रेस में इस स्कीम का बचाव करने के लिए लोग ही नहीं मिल रहे।