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‘उस दिन गोली भी चलती तो नहीं बचता ढाँचा’: 6 दिसंबर के उस चश्मदीद से जानिए क्या-कब-कैसे हुआ जिसे CBI ने सबसे पहले किया था गिरफ्तार

CBI की FIR में नामजद रहे रामजी गुप्ता के मुताबिक, सरयू से रेत जन्मभूमि पर चढ़ाने जा रहे कारसेवक 6 दिसंबर 1992 को अचानक ही बेकाबू हो गए थे।

घसीट कर सड़क पर ले गए, एक के सीने और एक के सिर में मारी गोली: राम मंदिर के लिए बलिदान हो गए कोठारी बंधु, सेवा कार्यों से अब भी उनके मिशन को आगे बढ़ा रही बहन

रक्तदान, गरीब बच्चों की पढ़ाई, धर्म के लिए संघर्ष करने वालों का सम्मान - कोठारी बंधुओं की स्मृति में बहन पूर्णिमा सब करती हैं। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी भक्तों-जवानों…

जब अयोध्या में मिठाई बाँट रहे किसान, राम मंडप सजा रहे अखिलेश यादव, तब ऑपइंडिया के सवालों से क्यों भाग खड़ा हुआ बाबरी का पैरोकार इकबाल

उज्जैन से पैदल आया व्यक्ति, मुन्नन खाँ का नाम सुन भागते इक़बाल अंसारी, दर्शन करने आए निहंग, राम का मंडप सजाते 'अखिलेश यादव', रथ खींच कर रायबरेली से आए 60…

अयोध्या के पौराणिक मणि पर्वत की तीन तरफ बना दी गई दरगाह, गणेश कुंड के पास नई मजार बनाने की तैयारी: ईरान और बगदाद के नाम पर हैं कब्रें

तीन तरफ से दरगाहों से घिरा हुआ है अयोध्या का पौराणिक मणिपर्वत। गणेश कुंड के पास नई दरगाह बनाने की तैयारी। PAC कैम्प के बगल में सैकड़ों कब्रें।

‘The Wire’ का चहेता पूर्व सांसद मुन्नन खाँ, दीवारों पर होता था जिसका नाम: कारसेवकों के परिजन बोले – वर्दी पहन कर घूमते थे उसके गुर्गे, हेलिकॉप्टर से बरसाई गोलियाँ

राजेश साहू ने बताया कि जब उन्हें आसपास के लोगों ने जानकारी दी कि मुन्नन खाँ अपने आदमियों को पुलिस की वर्दी पहना कर ले गया है। वो विधायक और…

‘जय श्री राम’ का उद्घोष भी अपराध, महिलाओं के गहने तक लूट लेती थी पुलिस: जन्मभूमि से 26 km दूर जो गाँव, वहाँ के लोगों ने पूछा – हमारे परिजनों का नरसंहार क्यों?

अयोध्या से 26 KM दूर बस्ती में कौन सा संविधान या ढाँचा बचाने के लिए हुआ था नरसंहार? 1990 का मुकदमा खेत और गहने बेच कर लड़ रहे हैं रामभक्त।

कारसेवकों की मदद करने पर जिन्दा या मुर्दा पकड़ने का आदेश, महिआओं के टॉर्चर के लिए मर्द पुलिस: मुलायम के ‘सरकारी आतंक’ से गाँव में नहीं बचे थे चिराग जलाने वाले

साल 1990 में कारसेवकों को खोजने सांडपुर में घुसी पुलिस की पहली पंक्ति बरसाती थी गोलियाँ, दूसरी समेटती थी लाशें और तीसरी लूट रही थी घरों को।

कारसेवकों की सेवा में जुटे थे ग्रामीण, गाँव को घेर मुलायम की पुलिस ने की फायरिंग: महिलाओं से हुई थी बदसलूकी, सत्यवान सिंह हो गए थे बलिदान

कारसेवकों को पकड़ने गाँव में पहुँची पुलिस का विरोध करते हुए 22 अक्टूबर 1990 को हुए नरसंहार में बलिदान हो गए थे बस्ती के रामभक्त सत्यवान सिंह।

राम मंदिर के पहले बलिदानी, 16 साल के राम चन्दर यादव: कारसेवकों को बचाने गए, पुलिस ने सिर में मारी गोली, घर पर नहीं होने दिया अंतिम संस्कार

मुलायम सरकार में 22 अक्टूबर 1990 को हुआ था रामभक्तों का पहला नरसंहार। बस्ती जिले के पहले नाबालिग बलिदानी का नाम था राम चन्दर यादव।