सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अवाला जस्टिस खानविलकर और जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने के पक्ष में अपना मत सुनाया। जबकि पीठ में मौजूद जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नरीमन ने सबरीमाला समीक्षा याचिका पर असंतोष व्यक्त किया।
अब तक राम मंदिर मामले को ही सबसे बड़ा माना जा रहा था, लेकिन इस पर फ़ैसला सुना दिए जाने के बाद अब सबकी निगाहें सबरीमाला मामले पर टिक गई है। धर्म और आस्था से जुड़ा यह मामला भी CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता में उनके रिटायरमेंट से पहले...
आस्था नितांत निजी विषय है। सार्वजनिक जीवन और समाज जिस तर्क और भौतिक नियम से चालित होते हैं, उनसे आस्था समेत निजी विषयों के नियम-कानून नहीं बन सकते। नियम सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए होते हैं जो समाज और सार्वजनिक क्षेत्र में लागू होते हैं।
सबरीमाला मंदिर बीते दिनों महिलाओं के प्रवेश को लेकर काफी चर्चा में रहा था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के बाद लाखों श्रद्धालु (जिनमें महिलाएँ भी शामिल थीं) सड़क पर उतरे थे। केरल की सरकार ने इस विरोध-प्रदर्शन को दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया था।
जबरन सबरीमाला मंदिर में घुसने की असफल कोशिश करने वाली बिन्दु थनकम कल्याणी ने आरोप लगाया कि उसके पति ने अपनी ही बेटी को अगवा करके उसका धर्म परिवर्तन करा डाला। इसके बाद बेटी का स्कूल भी बदलवा कर मुस्लिम स्कूल में भर्ती करवा दिया।
पांचालिमेडु (Panchalimedu), स्थानीय हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, जिसका नाम पांचाली के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि 12 साल के वनवास के दौरान वो पांडवों का निवास स्थान था। एक प्राचीन भुवनेश्वरी मंदिर भी अतिक्रमित भूमि के पास...
दंपति की याचिका में कहा गया है कि जमात-ए-इस्लामी और मुजाहिद वर्ग के लोग महिलाओं को मस्जिदों में नमाज पढ़ने की अनुमति देते हैं जबकि सुन्नी समुदाय में महिलाओं के मस्जिद में जाने पर प्रतिबंध है।