बदरुद्दीन अजमल ने मुस्लिमों को भड़काते हुए कहा था कि सरकार वक्फ की 9.7 लाख बीघा जमीन ह़ड़पना चाहती है। उन्होंने ये भी माँग की थी कि अब इस जमीन को सरकार को मुस्लिम समाज को सौंप देना चाहिए।
स्थानीय निवासी सैयद नियाज अशरफ अली विवादित जमीन को अलाउद्दीन खिलजी के समय से जोड़ कर बयानबाजी करते थे। बकौल नियाज अशरफ वह भूमि अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में ख्वाजा कड़क शाह के नाम से माफीनामा पर दर्ज है।