Thursday, December 12, 2024
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एक और प्रॉपर्टी पर कब्जे में जुटा कर्नाटक वक्फ बोर्ड, हाई कोर्ट ने लताड़ा: कहा- पहले ट्रिब्यूनल जाओ, संपत्ति के मूल मालिकों ने कोर्ट में दी चुनौती

1976 में वक्फ से निजी बनाई गई सम्पत्ति को कर्नाटक का वक्फ बोर्ड दोबारा वक्फ सम्पत्ति में तब्दील करना चाहता है। इसके लिए उसने एक कमिटी बना कर जमीन के मालिक को अतिक्रमणकारी घोषित कर दिया। हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के इस फैसले को रद्द कर दिया है।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति हथियाने की एक कोशिश पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने बोर्ड को वक्फ ट्रिब्यूनल में मामला ले जाने का आदेश दिया है। वक्फ बोर्ड 1976 में खुद के द्वारा ही निजी घोषित की गई एक सम्पत्ति को दोबारा वक्फ में बदलना चाहता है।

कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस MGS कमाल ने एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि वक्फ बोर्ड पहले के समय में प्रशासक द्वारा दिए गए फैसले को सिर्फ के कमिटी बना कर नहीं बदल सकता और इसके लिए उसे ट्रिब्यूनल जाना होगा। कोर्ट ने कहा है कि पहले का प्रशासक और अब ट्रिब्यूनल बराबर की संस्थाएँ हैं।

क्या है मामला?

यह मामला कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित एक सम्पत्ति से जुड़ा है। जिस सम्पत्ति पर वक्फ अपना कब्जा करना चाहता है वह शाह मोहम्मद रज़ा अली नाम के शख्स की थी और अब इस मामले में उसके बेटे जाबिर अली ने याचिका लगाई है। इस सम्पत्ति को 1965 में तब के मैसुरु वक्फ बोर्ड ने वक्फ सम्पत्ति घोषित कर दिया था। यह आदेश तब वक्फ के प्रशासक ने दिया था।

वक्फ घोषित की जाने वाली सम्पत्तियों में एक कब्रिस्तान भी शामिल था। वक्फ घोषित किए जाने के बाद भी यह सम्पत्तियाँ रजा अली के कब्जे में ही रही थी और इसको लेकर बोर्ड ने 1975 में उन्हें नोटिस भी भेजा था। इस मामले में की गई जाँच के बाद 1976 में राज्य के वक्फ बोर्ड ने यह सभी सम्पत्तियाँ रजा अली की निजी सम्पत्तियाँ घोषित कर दी थी।

इन सम्पत्तियों को वक्फ बोर्ड की लिस्ट से हटाने के आदेश भी 1977 में ही दे दिए गए थे। इसके बाद 2020 तक किसी को भी इस मामले में कोई समस्या नहीं थी। लेकिन 2020 में कर्नाटक वक्फ बोर्ड की निगाह इन पर पड़ गई। उसने नवम्बर, 2020 में एक नोटिस जारी करके रजा अली के बेटे जाबिर अली को अतिक्रमणकारी घोषित कर दिया।

वक्फ बोर्ड ने आरोप लगाया कि जाबिर अली को गड़बड़ी से यह सम्पत्ति मिली है। इसके बाद जाबिर अली कोर्ट पहुँच गए। कोर्ट ने जाबिर को वक्फ को जवाब देने को कहा था। वक्फ बोर्ड ने इसके बाद एक कानूनी कमिटी बना दी। इस कमिटी ने 1976 का आदेश पलट दिया और कहा कि यह अब वक्फ सम्पत्ति है।

इसके बाद जाबिर अली फिर से हाई कोर्ट पहुँचे। उन्होंने दलील दी कि 1976 में खत्म हो गए मसले को वक्फ बोर्ड अब उठा रहा है जो सही नहीं है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासक का आदेश अब के क़ानून के अनुसार वक्फ ट्रिब्यूनल या और कोई बड़ा न्यायालय बदल सकता है।

जाबिर अली ने वक्फ की कमिटी के जरिए इस सम्पत्ति पर कब्जे की कोशिश को गलत ठहराया था। हाई कोर्ट ने उनकी दलीलों को सही मानते हुए इसे दोबारा वक्फ की सम्पत्ति बनाने के आदेश को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को इस मामले में वक्फ ट्रिब्यूनल जाने को कहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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