जो चैतन्य महाप्रभु की भूमि थी, उसे पहले 1946 के नरसंहार के बाद खंडित किया गया और अब भी वहाँ शरिया ही चलाया जा रहा है। सीरिया से लेकर तमिलनाडु तक ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं। मोपला से लेकर चोपरा तक, खून हिन्दुओं का ही बहता है।
आरोपित की पहचान ताजेमुल के रूप में हुई है, जिसे स्थानीय लोग JCB नाम से बुलाते हैं। वो 'त्वरित न्याय' देने के लिए जाना जाता है, उसकी नज़र में पुलिस-कोर्ट की कोई हैसियत नहीं।
इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता के पानी को लेकर लगभग सहमति बन गई थी। इसके अंतर्गत बांग्लादेश को तीस्ता का 37.5% पानी और भारत को 42.5% पानी दिसम्बर से मार्च के बीच मिलना था।