भाजपा को आम तमिल ही नहीं, राज्य की प्रभावशाली हस्तियों के भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इनमें फिल्म अभिनेताओं रजनीकांत और कमल हासन के नाम भी शामिल हैं।
हिन्दीभाषियों के घमंड के दूसरे एक्सट्रीम पर वो लोग हैं जो हिन्दीभाषियों को घृणा से देखते हैं। एक बंगाली व्यक्ति ने लिखा कि हिन्दी वाले गुटखा खाने वाले हैं, गाली देने वाले हैं, भ्रूणहत्या करने वाले हैं, ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले हैं, ढोकला चुराने वाले हैं, भुजिया खाने वाले रक्तचूसक कीड़े हैं।
आप सोचिए कि हिन्दी जानने से आपकी संस्कृति कैसे प्रभावित हो रही है? अगर यह कहा जाए कि तुम तेलुगु छोड़ दो, और हिन्दी पढ़ो; तमिल में लिखे सारे निर्देश हटा दिए जाएँगे; कन्नड़ में अब नाटक या फिल्म नहीं बनेंगे; मलयालम की किताबों को जला दो... तब उसे हम कहेंगे कि 'हिन्दी थोपी जा रही है।'
हिंदी-ज्ञान अपने प्रदेश के बाहर निकल कर रोजगार की आकाँक्षा रखने वाले वर्ग की आवश्यकता है। हिंदी को 'एक प्रकार की' राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिल ही चुका है।