इंग्लैंड में एक प्रतिष्ठित ग्रामर स्कूल की 11 साल की लड़कियों को स्तनों को कैसे बाँधना समझाने वाला न्यूजलेटर भेजे जाने की बाद स्कूल की शिकायत शिक्षा विभाग में की गई है।
सरे के चीम स्थित प्यूपिल्स ऐड नॉनसच हाई स्कूल (Nonsuch High School) की 11 साल की छात्राओं को छह पूर्व छात्राओं द्वारा तैयार किया गया एक न्यूजलेटर भेजा गया था, जिसमें एक का शीर्षक था, ”मैं सुरक्षित तरीके से कैसे बाँधू।”
लड़कियों को भेजे गए इस न्यूजलेटर में उन वेबसाइट्स के लिंक भी हैं जो बताते हैं कि अगर अधिक ‘चपटे स्तन और मर्दाना’ लुक पाने के लिए स्तनों को बाँधना दर्दनाक हो तो सर्जरी के जरिए स्तनों के टिश्यू को हटाना भी एक विकल्प हो सकता है।
पहले स्कूल ने किया न्यूजलेटर का बचाव फिर माँगी माफी
एक बयान में, नॉनसच स्कूल के नेतृत्व ने न्यूजलेटर का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य ‘LGBTQ+ मुद्दों की समझ को सूचिता करना और बढ़ावा देना’ और ‘जोखिम भरी प्रथाओं पर विचार करने वाले युवाओं को सुरक्षा सलाह देना’ था। लेकिन एक अन्य बयान में, स्कूल ने न्यूजलेटर को लेकर माफी माँगी और कहा यह नॉनसच के आरएसई (रिलेशनशिप एंड सेक्स एजुकेशन) कार्यक्रम के ‘अनुरूप’ नहीं था।
LGBTQ न्यूजलेटर के अप्रैल संस्करण में, जो विद्यार्थियों को नहीं लेकिन उनके माता-पिता को भेजा गया था, में भी कुछ ऐसा ही जिक्र था। इस न्यूजलेटर में भी बच्चों को बायसेक्शुअलटी, ओमनीसेक्शुअलिटी और पैनसेक्सुअलिटी के बीच के अंतर को लेकर सलाह दी गई थी।
क्या है बेस्ट बाइंडिंग या स्तनों को बाँधना?
ब्रेस्ट-बाइंडिंग महिला के स्तनों को संकुचित और चपटा करता है। ट्रांस किशोरों में अपनी महिला शरीर रचना के विकास को छिपाने और रोकने की कोशिश के लिए यह आम बात है। हालाँकि, इसके सदियों लंबे इतिहास से पता चलता है कि, इसका उपयोग मुख्य रूप से पुरातन धारणाओं के अनुरूप महिलाओं को आदर्श महिला रूप में दिखाने के लिए अपने शरीर के विकास को रोकने को मजबूर करने के लिए किया जाता था।
17वीं और 18वीं शताब्दी में चीन में स्तन बंधन का इस्तेमाल कुलीन महिलाओं और उनके पतियों के लिए शर्मिंदा होने से बचने के लिए किया जाता था। उसी युग के यूरोपीय अभिजात वर्ग ने महिलाओं को किशोरावस्था जैसी काया देने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया था।