मोदी सरकार द्वारा लाए गए आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (सामान्य श्रेणी) को शिक्षा एवं रोजगार में 10% आरक्षण देने के 124वें संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार (जनवरी 9, 2019) को राज्यसभा में भी मंजूरी मिल गई। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 165 और विपक्ष में 7 वोट पड़े। बिल को लेकर चर्चा करने के लिए 8 घंटे का समय तय था लेकिन उसे बढ़ाना पड़ा। करीब 10 घंटे की चर्चा के बाद यह विधेयक पास हुआ।
लोकसभा की तरह ही यह बिल राज्यसभा में भी सर्वसम्मति और आसानी से पारित हो गया। इस बिल पर लगभग 10 घंटे तक पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने चर्चा की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर करने के बाद यह प्रावधान एक कानून बन जाएगा। विधेयक की ख़ास बात यह है कि तमाम विरोध के बावज़ूद, सरकार इस विधेयक को संसद में उसी रूप में पारित करने में सफ़ल रही, जिस रूप में यह पेश किया गया था। इस बिल में संशोधन के तमाम प्रस्ताव सदन में गिर गए।
लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी विधेयक पारित हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान निर्माताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए लगातार तीन ट्वीट किए। पहले ट्वीट में नरेंद्र मोदी ने लिखा, “ख़ुशी है कि राज्यसभा ने संविधान (124वाँ संशोधन) विधेयक, 2019 पास कर दिया। इस विधेयक का व्यापक समर्थन देखकर वह ख़ुश हैं। सदन ने एक जीवंत बहस को देखा, जहाँ कई सदस्यों ने अपनी राय प्रकट की।”
Delighted the Rajya Sabha has passed The Constitution (One Hundred And Twenty-Fourth Amendment) Bill, 2019.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 9, 2019
Glad to see such widespread support for the Bill.
The House also witnessed a vibrant debate, where several members expressed their insightful opinions.
अपने दूसरे ट्वीट में प्रधानमंत्री ने लिखा कि यह सामाजिक न्याय की जीत है। यह युवाओं के लिए एक व्यापक कैनवास सुनिश्चित करेगा, जिससे वे अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकेंगे और भारत के परिवर्तन में योगदान कर सकेंगे।
Passage of The Constitution (One Hundred And Twenty-Fourth Amendment) Bill, 2019 in both Houses of Parliament is a victory for social justice.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 9, 2019
It ensures a wider canvas for our Yuva Shakti to showcase their prowess and contribute towards India’s transformation.
अपने तीसरे ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, “संविधान (124वाँ संशोधन) विधेयक, 2019 को पारित करके, हम अपने संविधान के निर्माताओं और महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने एक ऐसे भारत की कल्पना की, जो मजबूत और समावेशी हो।”
By passing The Constitution (One Hundred And Twenty-Fourth Amendment) Bill, 2019, we pay tributes to the makers of our Constitution and the great freedom fighters, who envisioned an India that is strong and inclusive.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 9, 2019
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने 124वाँ संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पटल पर रखा था। विधेयक के उद्देश्य एवं कारणों में लिखा गया है कि अभी सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोग बड़े पैमाने पर उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश तथा सरकारी नौकरियों से वंचित हैं, क्योंकि वे आर्थिक रूप से मजबूत वर्ग के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते। इस विधेयक में लिखा है, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उच्च शिक्षा तथा सरकारी नौकरियों में उचित अवसर मिले, संविधान में संशोधन का फैसला किया गया है।”
विधेयक पेश करने के बाद इस बिल पर लोकसभा में लगभग 5 घंटे लम्बी चर्चा चली। सदन में उपस्थित अधिकांश पार्टी ने इस बिल का खुलकर विरोध नहीं किया। कॉन्ग्रेस ने बिल का विरोध नहीं किया, लेकिन पार्टी ने मांग की थी कि बिल पहले संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाए। राज्यसभा में विपक्ष ने कहा कि वो बिल के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सरकार के बिल को पेश करने के तरीके के ख़िलाफ़ हैं।
लोकसभा में इस बिल के बारे में बताते हुए केन्द्रीय मंत्री गहलोत ने कहा कि इसके पूर्व 21 बार प्राइवेट मेम्बर बिल लाकर अनारक्षित वर्ग के लिए आरक्षण संबंधी सुविधाएँ प्रदान करने की माँग हुईं। मंडल आयोग ने भी इसकी अनुशंसा की थी और पी.वी. नरसिंह राव सरकार ने 1992 में एक प्रावधान किया था लेकिन संविधान संशोधन नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया था।
सिन्नो कमीशन (कमीशन टू एग्ज़ामिन सब-कैटेगोराइज़ेशन ऑफ़ ओबीसी) ने 2004 से 2010 तक इस बारे में काम किया और 2010 में तत्कालीन सरकार को प्रतिवेदन दिया। गहलोत ने बताया कि पहले सरकारों द्वारा किए गए इस तरह के प्रयास सुप्रीम कोर्ट में इसलिए निरस्त हुए हैं, क्योंकि उन सरकारों ने संविधान में संशोधन किए बिना वो फ़ैसले लिए थे। मोदी सरकार ने इसी कमिशन की सिफ़ारिश के आधार पर संविधान संशोधन बिल तैयार किया है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि प्रस्तावित आरक्षण का कोटा वर्तमान कोटे से अलग होगा। अभी देश में कुल 49.5% आरक्षण है। अन्य पिछड़ा वर्ग को 27%, अनुसूचित जातियों को 15% और अनुसूचित जनजाति को 7.5% आरक्षण की व्यवस्था है। बिल पर चर्चा के दौरान केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने सदन को बताया कि अगर उनके फैसले के ख़िलाफ़ कोई सुप्रीम कोर्ट में भी जाता है तो यह निर्णय निरस्त नहीं हो पाएगा और सामान्य वर्ग के गरीब भी आरक्षण का लाभ ले पाएंगे। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने सोच-समझकर यह निर्णय लिया है और संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किए हैं।”
कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस बहस के दौरान कहा कि अगर 8 लाख रुपए कमाने वाला गरीब है, तो सरकार को 8 लाख तक की कमाई पर इनकम टैक्स भी माफ़ कर देना चाहिए। इस पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राज्य चाहें तो 8 लाख रुपए की सीमा को घटा-बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा, “आप विधेयक में 8 लाख की आय सीमा पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन बिल में प्रावधान है कि राज्य अपनी मर्ज़ी से सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से
कमज़ोर लोगों का पैमाना तय कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, किसी राज्य को लगता है कि आमदनी का पैमाना 8 लाख रुपए नहीं 5 लाख रुपए होना चाहिए, तो वह ऐसा कर सकेगा। संवैधानिक संशोधन के ज़रिए राज्यों को यह निर्णय करने का अधिकार रहेगा।”
सिब्बल ने कहा, “सरकार को जल्दी क्यों है, ये वही जानते हैं, मंडल कमीशन के बिल को पास करने में दस साल लगे थे, अभी सरकार संविधान में संशोधन एक दिन में करने जा रही है”
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि इस बिल के बारे में दशकों से बात हो रही थी, लेकिन किसी ने ऐसी हिम्मत अभी तक नहीं दिखाई। जबकि हमारा संविधान स्वयं कहता है कि सभी वर्गों को और नागरिकों को बराबर अवसर दिया जाना चाहिए। इस तरह से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग हमेशा पीछे रह गए थे।
आम आदमी पार्टी नेता भगवंत मान ने कहा कि ये भाजपा का नया जुमला है। उन्होंने कहा कि अब से दस दिन बाद मोदी किसी रैली में इसका श्रेय लेते नज़र आएंगे।
अक्सर साम्प्रदायिक बयान देने के कारण चर्चाओं में रहने वाले एआईएएम नेता असदउद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “दलितों के साथ ऐतिहासिक अन्याय को सही करना आरक्षण का मतलब है। गरीबी उन्मूलन के लिए कोई भी विभिन्न योजनाएँ चला सकता है लेकिन आरक्षण न्याय के लिए है। संविधान आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है।” इस बिल पर चर्चा करते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे धोखा बताया और कहा “मैं इस बिल का विरोध करता हूँ, क्योंकि ये बिल एक धोखा है। उन्होंने कहा कि इस बिल के माध्यम से बाबा साहब अंबेडकर का अपमान किया गया है और इस बात का कोई तथ्य या आँकड़ा नहीं है कि सवर्ण भी पिछड़े हुए हैं।
बिल का विरोध करते वक्त ओवैसी यह भूल गए कि 124वाँ संविधान संशोधन विधेयक सिर्फ सवर्णों के लिए नहीं है बल्कि आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य श्रेणी के सभी लोगों के लिए है। इसका मतलब इस विधेयक का सम्बन्ध जाति आधारित न होकर आर्थिक है। मतलब ओवैसी जिस मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करते हैं, उनके भी आर्थिक तौर पर पिछड़े लोग इस विधेयक से लाभान्वित होंगे।