ईरानी रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने बीते साल 2022 में कुर्दिश-ईरानी महिला महसा अमिनी की हिरासत में हुई मौत की कवरेज के लिए दो महिला पत्रकारों को वर्षों की जेल की सजा सुनाई। ये जानकारी इस मुल्क की सरकारी मीडिया समाचार एजेंसी आईआरएनए ने रविवार (22 अक्टूबर,2023) को दी।
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी IRNA के मुताबिक, निलोफर हामेदी और इलाहे मोहम्मदी को अमेरिकी सरकार के साथ सहयोग करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करने के आरोपों में 13 और 12 साल जेल की सजा सुनाई गई। हालाँकि, दोनों पत्रकारों और उनके वकीलों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
बीते 16 सितंबर 2022 में कथित तौर पर इस्लामी ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के आरोप में नैतिकता पुलिस की हिरासत में 22 साल की अमिनी की मौत ने पूरे ईरान में कई महीनों तक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। ये दशकों में ईरान के मौलवी नेताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।
सज़ा पाई दोनों महिला पत्रकारों ने पुलिस हिरासत में कुर्द छात्रा महसा अमीनी की मौत की रिपोर्टिंग में अहम भूमिका निभाई थी। छात्रा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही सितंबर 2022 में पत्रकारों, निलोफ़र हमीदी और इलाहे मोहम्मदी को गिरफ्तार किया गया था। उनका ट्रायल इस साल 2023 मई आखिर में शुरू हुआ।
बीते 13 महीनों तक दोनों पत्रकारों को हिरासत में रखने के बाद, तेहरान की क्रांतिकारी अदालत के 15वें चैंबर ने आखिरकार 22 अक्टूबर को अपनी सजा का ऐलान किया। हाम मिहान (Ham Mihan) की रिपोर्टर इलाहे मोहम्मदी के लिए 12 साल की जेल और शार्घ डेली (Shargh Daily) की रिपोर्टर निलोफर हामेदी के लिए 13 साल की जेल सुनाई।
इस अदालत ने उन्हें उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों का दोषी पाया। मोहम्मदी को संयुक्त राज्य अमेरिका की शत्रुतापूर्ण सरकार के साथ सहयोग करने के लिए छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ अपराध करने की साजिश रचने और मिलीभगत करने के लिए पाँच साल और इस्लामिक गणराज्य के खिलाफ प्रचार के लिए एक साल की सजा सुनाई गई थी। इस तरह से उन्हें कुल 12 साल की सजा मिली।
उधर हामेदी को इन्हीं आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था, लेकिन उनकी जेल की कुल सज़ा 13 साल थी, क्योंकि उन्हें दुश्मन अमेरिकी सरकार के साथ सहयोग करने के लिए सात साल की सजा मिली। इसमें उन्हें ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करने’ के लिए पाँच साल की अतिरिक्त जेल और प्रचार के लिए एक साल की सजा दी गई।
इसके अलावा, हामेदी को राजनीतिक दलों या समूहों की सदस्यता, सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने या मीडिया में काम करने पर दो साल के प्रतिबंध की सजा सुनाई गई थी। वहीं ईरानी न्यायपालिका की आधिकारिक समाचार वेबसाइट ने रविवार को कहा कि हामेदी और मोहम्मदी को क्रमशः 13 साल और 12 साल की जेल हुई, लेकिन उन्हें पूरी सजा नहीं काटनी होगी।
न्यायपालिका की वेबसाइट में कहा गया है, “दोनों महिला पत्रकारों के मामलों में, अमेरिकी सरकार से जुड़ी कुछ संस्थाओं और लोगों के साथ संबंधों के सिद्ध सबूत हैं, जो जानबूझकर और सुरक्षा-विरोधी नीतियों को दरकिनार करते हुए किया गया काम है।”
वेबसाइट के मुताबिक, दोनों महिला पत्रकारों की सज़ाओं को संभावित रूप से कम किया जा सकता है। प्रारंभिक सज़ा के ख़िलाफ़ तेहरान की अदालत में 20 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है। यदि अपील अदालत अपने फैसले को बरकरार रखती है, तो हामेदी को कम से कम सात साल जेल की सजा काटनी होगी, और मोहम्मदी को कम से कम छह साल की सजा काटनी होगी।
हामेदी के पत्रकार के पति ने एक्स पर पोस्ट किया गया था, हामेदी को उसके जन्मदिन पर एक पारिवारिक सफर पर जाने के दौरान इस फैसले की सूचना मिली थी। हामेदी और मोहम्मदी 22 सितंबर, 2022 से प्री ट्रायल हिरासत में हैं, क्योंकि उन्होंने 16 सितंबर को 22 साल की महिला महसा अमिनी की मौत की सूचना दी थी। वे अमिनी के अस्पताल में भर्ती होने पर खबर देने वाले पत्रकारों में से थीं।
पत्रकारों की सुरक्षा करने वाली समिति (CPJ) ने पत्रकार नीलोफर हमीदी को 13 साल और इलाहे मोहम्मदी को दी गई 12 साल की जेल की सजा के फैसले की निंदा की है और उनकी तत्काल रिहाई की माँग की है।
गौरतलब है कि सीपीजे की 2022 जेल जनगणना में बताया गया है कि ईरान की जेलों में सबसे ज़्यादा पत्रकार बंद हैं। इसमें 1 दिसंबर तक सलाखों के पीछे बंद लोगों का दस्तावेजीकरण किया गया है। कुल मिलाकर, ईरानी अधिकारियों को अमीनी की मौत के बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर कम से कम 95 पत्रकारों को हिरासत में लेने के लिए जाना जाता है।
वहीं रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ईरानी रिवोल्यूशनरी कोर्ट के इस झूठे केस में दो महिला पत्रकारों को दी गई 12 और 13 साल की अपमानजनक जेल की सजा से खौफ और फिक्र में हैं। सीपीजे के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम समन्वयक शेरिफ मंसूर ने कहा, “नीलोफर हामेदी और इलाहे मोहम्मदी की सजा एक मजाक है और अभिव्यक्ति की आजादी के क्षरण और पत्रकारिता को अपराधीकरण करने के ईरानी सरकार की हताश कोशिशों का एक साफ सबूत है।”