संयुक्त राष्ट्र के एक जाँचकर्ता ने कहा है कि वर्ष 2017 में म्यांमार में हुए 99 हिन्दुओं के नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जा सकता है। यह नरसंहार रोहिंग्या मुस्लिम आतंकियों ने किया था। आतंकियों ने हिंदू बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को मारकर जमीन में दबा दिया था।
म्यांमार में मानवाधिकारों की जाँच करने वाले अधिकारी निकोलस कोमजियान से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस विषय में प्रश्न पूछा गया। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर अपराध है और इसे अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जा सकता है।
गौरतलब है कि अगस्त 2017 में रोहिंग्या मुस्लिम आतंकियों ने अलगाववादी से त्रस्त रखाईन प्रांत के एक गाँव में घुसकर हिन्दुओं का नरसंहार कर दिया था। यह नरसंहार अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) ने किया था। इसका मुखिया कराची में जन्मा अताउल्लाह अबू उमर जुनूनी है।
मारे गए इन हिन्दुओं की लाशें बाद में एक सामूहिक कब्र में पाई गई थीं। इस दौरान रोहिंग्या मुस्लिमों ने कुछ महिलाओं को छोड़ दिया था और उन्हें डरा-धमकाकर इस्लाम में परिवर्तित करा दिया था। बाकी सभी को मारकर इस कब्र में दफना दिया था।
इस मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी कहा था कि म्यांमार में हिन्दुओं का नरसंहार हुआ है। एमनेस्टी ने अपनी पड़ताल के बाद बताया था कि नकाबपोश मुस्लिम आतंकियों ने रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ मिलकर सुबह-सुबह गाँव में घुसकर हिन्दू महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को घेर लिया था।
इसके बाद उनके घरों में लूटपाट की गई। हिंदुओं के हाथ-पैर बाँध दिए गए। इसके बाद पुरुषों को अलग करके सबसे पहले उनका नरसंहार कर दिया गया। इनमें से आठ हिन्दू महिलाओं और उनके बच्चों को इस शर्त पर छोड़ दिया गया कि वे इस्लाम स्वीकार कर लेंगी।
एमनेस्टी ने बताया कि रोहिंग्या मुस्लिम आतंकियों ने तलवारों से महिलाओं और बच्चों के भी गले काटे। इस मानवाधिकार संस्था ने बताया कि दो गाँवों में कुल 99 हिन्दुओं की हत्या की गई थी। एक गाँव में 53 मारे गए थे। इनकी लाशें मिल गई थीं। वहीं, दूसरे गाँव में 46 लोगों की हत्या की गई थी, लेकिन उनकी लाशें कभी नहीं मिलीं।
रोहिंग्या आतंकियों ने इसके अतिरिक्त भी अन्य कई मौकों पर हिन्दुओं को निशाना बनाया था। रोहिंग्या आतंकी ने रखाईन प्रांत के हिंदुओं पर आरोप लगाया था कि वे म्यांमार की बौद्ध सरकार का समर्थन कर रहे हैं और उनके अलगाववादी विचारधारा के खिलाफ सरकार की सहायता कर रहे हैं।
अब एमनेस्टी समेत अन्य जाँच को मानते हुए संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जाना चाहिए। गौरतलब है कि म्यांमार में रोहिंग्या आतंकियों की गतिविधियों के कारण ही वहा नकी सेना लगातार कार्रवाई करती आई है।