कुछ साल पहले तीर्थयात्रा के नाम पर भारत आकर बसे पाकिस्तानी हिंदू परिवारों का भविष्य अब खतरे में है। दरअसल, एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने दिल्ली स्थित मजनूं का टीला के दक्षिण में यमुना के किनारे बनी झुग्गियों और अर्ध स्थायी संरचनाओं पर कड़ी आपत्ति जताते हुए मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पर्यावरण और पारिस्थिकी के नजर से यह सही भी है लेकिन सवाल यह भी कि आखिर पाकिस्तान से जान बचा कर आए हिन्दू शरणार्थी परिवार आखिर जाएँगे कहाँ? क्योंकि इन सभी शर्णार्थियों ने इसी इलाके में अपना निवास बनाया है, जहाँ अतिक्रमण के ख़िलाफ़ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक 100 से ज्यादा परिवार कुछ साल पहले तीर्थयात्रा के वीजा पर भारत आए थे, लेकिन वे यहाँ से वापस जाने की बजाए यहीं बस गए। उन्होंने यमुना के किनारे झुग्गियों में रहना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे समय बीतता गया और अब इनमें से अधिकतर के पास मजनूं का टीला के पते पर बने आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक खाते सब हैं। इसके अलावा इन लोगों के बच्चों ने भी नजदीक के सरकारी स्कूलों में जाना शुरू कर दिया है। लेकिन फिर भी अगर एनजीटी के निर्देशानुसार इस मामले पर काम किया जाता है, तो क्या इन हिन्दू परिवारों को कहीं और बसाने का इंतजाम किया गया है या इन्हें वापस इनके मुल्क (पाकिस्तान, जिसे इन्होंने अपना मुल्क मानने से इनकार कर दिया है) भेज दिया जाएगा?
सालों से ठंडे बस्ते में पड़े इस मामले पर जगदेव नामक व्यक्ति ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के समक्ष कुछ दिन पहले रिपोर्ट पेश की थी। जिसके बाद इस मामले पर खुलासा हुआ। याचिका में जगदेव ने गुरुद्वारे के दक्षिणी हिस्से से सटे अतिक्रमण के ख़िलाफ़ और पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई के ख़िलाफ कार्रवाई की माँग की थी।
इसी पर संज्ञान लेते हुए ही एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सख्ती से पूछा कि प्राधिकारी कैसे यमुना क्षेत्र में ऐसे अतिक्रमण की अनुमति दे सकते हैं? यहाँ जानना जरूरी है कि एनजीटी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के निरीक्षण पर आधारित है।
डीडीए की ओर से एनजीटी के समक्ष पेश हुए वकील राजीव बंसल और अधिवक्ता कुश कुमार ने इस दौरान निरीक्षण की रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों पर बताया। उन्होंने कहा कि स्थल के निरीक्षण के दौरान पता चला है कि ये 120 हिन्दू परिवार साल 2011 से 2014 तक तीर्थयात्रा वीजा पर भारत आए थे। जिनमें कुल 700 लोग हैं। ये यमुना के किनारे बनी झुग्गी और अर्ध-स्थायी संरचनाओं में रह रहे हैं। इनके द्वारा कब्जा की हुई जमीन करीब 5000 वर्ग गज है।
बता दें कि ये 120 पाकिस्तानी हिन्दू परिवार इस इलाके में सालों से झुग्गियों में बसे हुए हैं, लेकिन इन्हें कोई बिजली मुहैया नहीं करवाई गई है। जल आपूर्ति भी साझा नलों से की जा रही है और कुछ निवासियों ने तो जीवनयापन के लिए फुटपाथ पर छोटी दुकानें भी शुरू कर दी हैं। इस जमीन पर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले भूमि एवं विकास कार्यालय का अधिकार है। जिसे देखभाल और रख रखाव के लिए 7 जुलाई 1971 को डीडीए को हस्तांतरित किया गया था।