बिहार में हिंदू परिवार की बहन, बेटियों को प्यार के जाल में फँसाकर उनसे शादी कर ईसाई मजहब अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। वहाँ इस ईसाई लव जिहाद एक-दो नहीं बल्कि कई मामले सामने आए हैं।
ऐसी ही एक शिकार सुनीता रहीं। दो भाईयों और एक बहन के परिवार में वो सबसे छोटी हैं, लेकिन 17 साल के होते-होते पड़ोसी जॉन ने उसे अपने प्रेमजाल में ऐसा फाँसा कि वो उससे कभी उबर नहीं पाई। उनका इस तरह से ब्रेनवाश किया गया कि अपना घर छोड़ दिया और जॉन के परिवारवालों ने 30 दिन बाद ही उन्हें ईसाई बना दिया। ये ही नहीं माया नाम की एक हिंदू लड़की की भी यही कहानी है ईसाई लड़के ने प्यार के जाल में फँसा शादी की, धर्म बदलवाया और फिर दो बच्चों के होने के बाद उसे छोड़कर चला गया।
कम साक्षरता दर वाले इलाके हैं निशाने पर
ये दो ही नहीं बल्कि के बिहार के सीमांचल में सैकेड़ों लड़कियाँ ईसाईयों के इस नए लव जिहाद का शिकार हुई हैं। ये खुलासा दैनिक भास्कर के एक स्टिंग में हुआ है। यहाँ ये बात भी गौर करने लायक है कि बिहार के सीमांचल में 1999 से लेकर 2005 के बीच गाँवों में चर्च बढ़ते चले गए हैं। इसमें भी शहरों को छोड़कर चर्च बनाने के लिए गाँवों को चुना गया है।
इसके पीछे भी तगड़ी साजिश हैं क्योंकि अररिया, कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, भागलपुर मधेपुरा और बेगूसराय जैसे जिले साक्षरता दर में पीछे है। साफ है कि वहाँ के लोगों का ब्रेनवॉश करना आसान है। इस काम को चेन्नई से हैंडल किया जाता है।
बिहार के अलग-अलग जोन में स्कूल और हेल्थ सेंटर में लगे लोग धीरे-धीरे वहाँ के निवासियों को ईसाई बनाने की घुट्टी पिलाते हैं। इसके बाद वहाँ ईसाईयों की तादात बढ़ते ही आनन-फानन में चर्च भी बना दिया जाता है।
मधेपुरा में 60 फीसदी बने ईसाई
मधेपुरा एक ऐसा जिला है जिसके कई गाँवों में ईसाई आबादी 40 से 60 फीसदी तक जा पहुँची है। यहाँ के मुरलीगंज ब्लॉक का तिनकोनवा गाँव इसका उदाहरण हैं। पटना से 260 किलोमीटर दूर 1400 घरों वाला ये गाँव शिक्षा के मामले में बेहद पिछड़ा है।
इसकी आबादी 60 हजार है, लेकिन यहाँ गिरजाघरों यानी चर्च की तादाद हैरानी में डालने वाली है। कक्षा 8वीं तक का एक स्कूल मिशनिरियों का है। हॉस्पिटल भी उनका ही है। यहाँ आर हैम्ब्रम और उनकी वाइफ ललिता ईसाई मजहब का प्रचार करते हैं।
ललिता के मुताबिक, यहाँ कई लड़कों ने हिंदू लड़कियों से प्यार किया और शादी के लिए ये लड़कियाँ ईसाई बन गई। उन्होंने ये भी बताया कि वो भी हिंदू थीं और ईसाई आर हैम्ब्रम से प्यार किया और उनका धर्म अपनाकर उनसे शादी कर ली।
ललिता ने भी खुलासा किया कि प्रार्थना सभा और संगीत के जरिए वो लोगों को ईसाई धर्म अपनाने का प्रचार करते हैं। ऐसी ही एक महिला झारखंड की सरिता भी है। वो भी अपने पति के साथ मिलकर सहरसा में लोगों को ईसाई मजहब अपनाने के लिए प्रेरित करती थीं। अब वो यही काम मधेपुरा में कर रही है। सरिता ने माना कि प्यार के बाद धर्म बदलने के मामलों में इजाफा हो रहा है।
चर्च में शादी के बाद 32वें दिन हिंदू लड़की को ईसाई बनाया जाता है। इससे पहले 6 से लेकर एक साल तक लड़की को ईसाईत के तौर-तरीके बताए जाते हैं। जाँच में सामने आया है कि यहाँ महज दो साल में ही 30 से लेकर 50 घरों ने ईसाई धर्म अपना लिया है।
दबदबे वाले परिवार भी बने ईसाई
गाँव में मनोज का परिवार ईसाई बन गया है। मनोज अब मनोज हैम्ब्रम हो गए हैं। मनोज के दो बेटे हैं। दोनों ने हिंदू लड़कियों को प्यार का झाँसा दिया और फिर उन्हें शादी करने से पहले ईसाई बनाया।
वहीं अब इन लड़कियों के परिवारों ने भी ईसाई धर्म अपना लिया है। गाँव के चर्च के रोशन हैम्ब्रम का भी कुछ ऐसा ही किस्सा है। उनके मुताबिक हिंदू लड़की किसी ईसाई लड़के से प्यार करती है तो शादी से पहले उसे ईसाई धर्म अपनाना होता है। वरना उनकी शादी नहीं हो सकती।
वह मानते हैं कि ईसाई धर्म अपनाने वाली अधिकांश लड़कियाँ हिंदू हैं। हालाँकि, उनका यह भी कहना है कि हिंदू लड़कियाँ ईसाई धर्म के विचारों से प्रभावित होती हैं। इसके पीछे ये वजह है कि बचपन से ही उन्हें ईसाई मजहब का पाठ पढ़ाया जाता है।
पूर्णिया से तिकोनवा गाँव में ठाकुर सोरेन को जमीन का लालच देकर बुलाया गया और फिर उन्हें ईसाई बना दिया। उनकी बेटी भी इस लव जिहाद का शिकार बनी। इस मामले में भी बाद में शादी के बाद ईसाई लड़का उसे छोड़कर चला गया।
तिकोनवा गाँव के चर्च में हर रविवार को 150 ईसाई आते हैं और ये सब हिंदू धर्म छोड़कर इस धर्म में आए हैं। ऐसा ही एक परिवार चिंटू का है जो 2015 में हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बन गए। चिंटू के बाद 32वें के बाद वो न तो हिंदू देवी-देवता का नाम लेते हैं और न ही मंदिर जाते हैं और प्रसाद खाते हैं।
उनका कहना है कि हिंदू को ईसाई बनाने पर यीशु खुश होते हैं। इस धर्मांतरण पर विश्व हिंदू परिषद के विवेक कुमार कहते है कि हिंदू लड़कियों के ईसाई बनने के केस इधर बढ़ गए हैं। हालाँकि उनका कहना है कि 3 साल के अंदर 2500 लोगों की घर वापसी हुई है।
वहीं इस पर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद बिहार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जवाहर झा कहते हैं कि हिंदूओं को ईसाई बनाने देश के लिए साइलेंट किलर जैसा है क्योंकि ये सुर्खियों में नहीं आते। ये आर्थिक तौर पर पिछड़े हिंदू परिवारों को निशाना बनाते हैं।