नेपाल की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के इलाकों में चल रहे 108 मदरसों में विदेशी फंडिंग के सबूत मिले हैं। पता चला है कि तालीम के नाम पर इन मदरसों को खाड़ी देशों से करीब 150 करोड़ रुपए की फंडिंग हुई है। यह पैसा कहाँ खर्च हुआ, इसकी जाँच उत्तर प्रदेश SIT कर रही है।
ऑपइंडिया ने अक्तूबर 2022 में भारत-नेपाल सीमा पर चल रहे अवैध मस्जिद और मदरसों का खुलासा किया गया था। इसके बाद मदरसों को हो रही फंडिंग की जाँच के लिए यूपी सरकार ने एडीजी मोहित अग्रवाल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआइटी का गठन किया था। रिपोर्ट के अनुसार एसआईटी की पड़ताल में 108 मदरसों को विदेशी फंडिंग के प्रमाण मिले हैं। इन मदरसों से उनके बैंक खातों का पूरा ब्यौरा माँगा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक SIT जाँच में खुलासा हुआ है कि बीते 2 वर्षों में भारत-नेपाल सीमा पर बने मदरसों के लिए लगभग 150 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग हुई है। इस फंडिंग का लाभ लगभग 108 मदरसों को मिला है। ज्यादातर पैसे सऊदी अरब और उसके आसपास के खाड़ी देशों से भेजे गए हैं।
SIT टीम की जाँच के दायरे में कुल 25 हजार मदरसे हैं। जाँच के पहले चरण में उन मदरसों को चिन्हित किया गया है जो गैर मान्यता प्राप्त हैं। नेपाल बॉर्डर के अलावा देवबंद और कुछ अन्य हिस्सों में भी ऐसे कई मदरसे मिले हैं जिनको चलाने के लिए विदेश से पैसे आए। जाँच एजेंसी की नजर विदेशी पैसे के अलावा दिल्ली के एक NGO पर भी है। इस NGO से 3 वर्षों के अंदर कई मदरसों को लगभग 20 करोड़ रुपयों की फंडिंग की गई है। इस NGO से यह पता लगाने का प्रयास चल रहा है कि उनके पास ये पैसा कैसे और कहाँ से आया। साथ ही इसके द्वारा दिया गया पैसा मदरसों ने किस काम के लिए खर्च किया।
इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि विदेशों से मिले इन पैसों को तालीम की जगह देश विरोधी कार्यों पर खर्च किया गया हो। बताते चलें कि नेपाल सीमा पर अवैध इबादतगाहों व मदरसों को ले कर ऑपइंडिया की टीम अक्टूबर 2022 में लगभग 15 दिनों तक ग्राउंड पर रही। इस दौरान नेपाल के भी सांसद ने यह स्वीकार किया था कि भारत-नेपाल सीमा पर संदिग्ध गतिविधियाँ जोर पकड़ रही हैं।