देश में मैरिटल रेप पर छिड़ी बहस और सर्वोच्च न्यायालय में दायर कई याचिकाओं के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले में कहा है कि मैरिटल रेप को रेप नहीं माना गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है, ऐसे में किसी को इस मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सकता। हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए ‘मैरिटल रेप’ के आरोपित को धारा 377 के आरोपों बरी कर दिया। हालाँकि इस मामले से जुड़ी दो अन्य धाराओं 498-ए (पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) और आईपीसी की धारा 323 (चोट पहुँचाने) में आरोपित को दोषी ठहराया है।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ में चल रही थी। लाइव लॉ के मुताबिक, हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी की उम्र अगर 18 वर्ष से अधिक है, तो पति को वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) के मामले में अपराधी नहीं ठहराया जा सकता। इस मामले में पीड़ित ने मारपीट, क्रूरता के साथ ही अप्राकृतिक यौन अत्याचार के आरोप लगाए थे। कोर्ट ने कहा कि अभी तक देश में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है।
सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ लंबित, दोषी नहीं ठहरा सकते
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाईयों का जिक्र भी किया। हाई कोर्ट ने कहा कि अभी कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है और सुप्रीम कोर्ट का कोई फैसला नहीं आया है। जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई फैसला नहीं करती है, तब तक पत्नी की उम्र 18 वर्ष या अधिक होने की स्थिति में वैवाहिक बलात्कार के लिए कोई दंड नहीं निर्धारित नहीं है।
इसी लिए इस मामले में वो आरोपित को धारा 377 के मामले में दोषी नहीं ठहरा रही। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की पिछली टिप्पणी का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि वैवाहिक रिश्ते में किसी भी ‘अप्राकृतिक अपराध’ (धारा 377 के तहत) के लिए कोई जगह नहीं है।
इस मामले में पीड़ित ने आरोप लगाया था कि उसका वैवाहिक रिश्ता अपमानजनक था और पति ने उसके साथ दुर्व्यवहार और जबरदस्ती की। उसने अप्राकृतिक यौनाचार भी किया था। हालाँकि हाईकोर्ट ने अप्राकृतिक यौनाचार को गलत तो बताया, लेकिन कोई सजा देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने दो अन्य आरोपों को सही पाया है और आरोपित को दोषी ठहराया है।
बता दें कि इस साल की शुरुआत से सुप्रीम कोर्ट में मैरिटल रेप को लेकर कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। जिसमें केंद्र सरकार ने वैवाहिक बलात्कार जैसे टर्म का विरोध किया है। सरकार ने कोर्ट से कहा है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने से समाज प्रभावित हो सकता है।