मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार जिस मोहल्ला क्लीनिक को दिल्ली का विकास मॉडल बताती है, उसमें घोटालों की झड़ी लग गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मोहल्ला क्लीनिकों में फर्जी लैब टेस्ट की सीबीआई जाँच की सिफारिश की, इसके बाद शुक्रवार (5 जनवरी 2024) को केंद्र सरकार ने जाँच की अनुमति दे दी। ये घोटाला सैकड़ों करोड़ रुपए का है।
मोहल्ला क्लिनिकों में नकली दवाएँ देने की जाँच की सिफारिश के बाद यह इससे जुड़ा दूसरा मामला है, जिसमें उपराज्यपाल ने सीबीआई जाँच की सिफारिश की है। सामने आई जानकारी के अनुसार, मोहल्ला क्लिनिकों में हजारों टेस्ट ऐसे लोगों के किए गए, जो दुनिया में है ही नहीं। हम आपको इस घोटाले से जुड़ी हर बात आपको बताने जा रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक में गंभीर बीमारियों की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई। वैसे, तो मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत से ही उस पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं, लेकिन ये आरोप ऐसे हैं कि कोई भी समझ जाएगा कि खेल आखिर क्या है। मोहल्ला क्लीनिक के माध्यम से जिन मरीजों के टेस्ट होते थे, उन टेस्ट को अंजाम देने की जिम्मेदारी सौंपी गई एगिलस डायग्नोस्टिक्स और मेट्रोपोलिस हेल्थ केयर को।
एलजी ऑफिस की तरफ से शुरुआत जाँच में ये सामने आया है कि करोड़ों रुपए के हजारों टेस्ट जो किए गए हैं, वो असल में हुए ही नहीं। उन टेस्ट को फर्जी मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करके सिर्फ कागजों पर किया गया। ऐसे लोग ‘जो कभी थे ही नहीं’, उनके टेस्ट कराए गए। इसकी कई शिकायतें एलजी ऑफिस तक पहुँचीं। इसके बाद इन क्लिनिकों की औचक निरीक्षण में इसका खुलासा हुआ।
इस घोटाले का पहला पता अगस्त 2023 में चला, जब दिल्ली के दक्षिण पश्चिम, शाहदरा, उत्तर-पूर्वी जिलों में फर्जी अटेंडेंस का मामला पकड़ में आया। इसमें मेडिकल इंचार्ज ऑफिसर रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से हाजिरी दर्ज कराते पकड़े गए। उनकी अनुपस्थिति में अज्ञात लोग/डॉक्टर मरीजों को सलाह देते और दवाइयाँ लिखते देखे गए। इस मामले में एफआईआर दर्ज करा दी गई।
उपराज्यपाल ने लैब टेस्ट में घोटाले की जानकारी के लिए दोनों लैब की 3 महीने की टेस्ट की रिपोर्ट निकलवाई। इसमें जुलाई से सितंबर 2023 तक के आँकड़ों को शामिल किया गया। जब डेटा एकत्र किया गया तो पता चला कि इनमें से बहुत सारे लैब टेस्ट में फर्जी या फिर गलत नंबर डालकर रजिस्ट्रेशन किया गया। एक-एक मोबाइल नंबर पर कई-कई टेस्ट भी किए गए।
मोहल्ला क्लीनिक में फर्जीवाड़े के आँकड़े
एलजी ऑफिस की जाँच में इन 7 मोहल्ला क्लीनिक्स पर फोकस किया गया। हजारों की संख्या में कराए गए इन टेस्ट में से 11,657 लैब टेस्ट ऐसे रहे, जिसमें मोबाइल नंबर में सिर्फ 0 लिखा है। वहीं, 8251 लैब टेस्ट में मोबाइल नंबर लिखा ही नहीं गया। यही नहीं, 3092 लैब टेस्ट में मोबाइल नंबर 9999999999 दर्ज किया गया है। 400 लैब टेस्ट में मोबाइल नंबर 1,2,3,4,5 से शुरु हो रहे हैं, जो भारत में होते ही नहीं।
यही नहीं, 999 मामलों में एक ही मोबाइल नंबर का 15 या इससे ज्यादा बार इस्तेमाल हुआ। इसमें भी देखें तो अकेले 9810467129 मोबाइल नंबर से 185 लैब टेस्ट को अंजाम दिया गया। वहीं, 9855544543 नंबर से 165 लैब टेस्ट किए गए। एलजी ऑफिस की प्रारंभिक जाँच में 23 हजार से ज्यादा फर्जी मरीजों का पता चला है।
फर्जी लैब टेस्ट के ये आँकड़े सिर्फ 7 जगजीत नगर मोहल्ला क्लीनिक, बिहारी कॉलोनी मोहल्ला क्लीनिक, जफर कलाँ मोहल्ला क्लीनिक, ढाँसा मोहल्ला क्लीनिक, उज्वा मोहल्ला क्लीनिक, शिकारपुर मोहल्ला क्लीनिक और गोपाल नगर मोहल्ला क्लीनिक के हैं। इन सात मोहल्ला क्लीनिक्स में 5 पर टेस्टिंग का जिम्मा एगिलस लैब का था, तो 2 का जिम्मा मेट्रोपोलिस का।
फरवरी 2023 से सितंबर 2023 के बीच इन मोहल्ला क्लीनिक्स पर 17,725 लैब टेस्ट कराए गए। इसमें से एगिलस ने 15,463 लैब टेस्ट किए और मेट्रोपोलिस ने 2262 टेस्ट किए। इसके बाद इन लैबों के पूरे डाटा को निकाला गया, जिसमें दिल्ली सरकार के पैसों पर अब तक 6 लाख 6 हजार 837 लैब किए गए हैं। इसमें से एगिलस ने 5,21,221 टेस्ट और मेट्रोपोलिस ने 85,616 लैब टेस्ट किए।
जानकारी के बावजूद दिल्ली सरकार ने बंद रखे आँख-कान और मुँह
मोहल्ला क्लीनिक्स से जुड़ा ये घोटाला सामने आने के बाद एलजी ऑफिस ने 3 माह के अंदर मरीजों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा तैयार करने को कहा था, जो आधार बेस्ड या बायोमेट्रेकि बेस्ड हो। एलजी ने राज्य सरकार से ये भी कहा था कि इन मोहल्ला क्लीनिक्स को चलाने वाली प्रक्रिया की जाँच की जाए और 6 माह के अंदर ये बताया जाए कि कैसे ये मोहल्ला क्लीनिक पहले से मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं से बेहतर योगदान दे रही हैं।
एलजी द्वारा दिए गए इन सुझावों पर दिल्ली सरकार ने चुप्पी साध ली। इसके बाद एलजी ने मोहल्ला क्लीनिक के मौजूदा प्रोजेक्ट डायरेक्टर, लैब टेस्ट को अंजाम देने वाली कंपनी (आउटसोर्स्ड लैब सर्विसेज) और अन्य लोगों के खिलाफ उनके निर्देशों को न मानने की वजह से कार्रवाई का सुझाव दिया। इसके साथ ही एलजी ने विजिलेंस जाँच का भी आदेश दे दिया।
इस जाँच में इस बात का पता लगाया जाना था कि घोटालों से कितना नुकसान हुआ और डॉक्टर/सपोर्ट स्टाफ किस तरह से उन प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर ठगी का काम कर रहा था। इस जाँच रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि एलजी द्वारा गंभीर तरीके से दिए गए सुझावों को माना तक नहीं गया और आउटसोर्सिंग पर लैब टेस्ट के लिए रखी गई कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
अब जबकि इस घोटाले का खुलासा हो गया है तो भी इन 7 मोहल्ला क्लीनिकों से जुड़े स्टाफ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके साथ ही सीडीएमओ डॉक्टर संदीप गौतम ने झूठा बयान दिया कि घोटाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अब चूँकि एलजी ने मोहल्ला क्लीनिकों की जाँच के लिए सीबीआई सिफारिश कर दी और केंद्र ने इसकी स्वीकृति दे दी तो अन्य मामले भी जल्दी सामने आएँगे।
अंग्रेजी में लिखी गई मूल खबर को आप यहाँ पढ़ सकते हैं।