हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके वाराणसी स्थित ज्ञानवापी ढाँचा परिसर में मिले शिवलिंग का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से विस्तृत सर्वे कराने की माँग की है। याचिका में कहा गया है कि जहाँ से यह शिवलिंग मिला है, उसके आसपास नई दीवालें बना दी गई हैं। ये दीवालें असल इमारत के साथ मेल नहीं खाती हैं और मुख्य इमारत से जुड़ी हुई नहीं हैं।
हिन्दू पक्ष ने कहा कि शिवलिंग के आसपास का निर्माण उसकी विशेषताओं को छुपाने के लिए जानबूझकर किया गया है। इससे शिवलिंग की पीठिका जैसी विशेषताएँ दबा दी गई हैं। याचिका में आगे कहा गया है कि यह शिवलिंग कहाँ से आया, इसका पता लगाया जाए। हिंदू पक्ष का कहना है कि मुस्लिमों के लिए इस शिवलिंग का कोई महत्व नहीं है और वह इसे लगातार एक फव्वारा बताते आए हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अभी जिस ASI सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है, वह सील इलाके को छोड़कर किया गया है। यह सील इलाका वजूखाना कहलाता है। यहाँ नमाजी हाथ-पैर धोते थे। हिन्दू पक्ष का कहना है कि यहाँ भी सर्वे किया जाए, जिससे पूरी सच्चाई बाहर आए। बिना उसकी जाँच के अभी की रिपोर्ट का कोई महत्व नहीं है।
गौरतलब है मई 2022 में ज्ञानवापी के सर्वे में शिवलिंग निकला था। इसके बाद पूरे परिसर की ASI जाँच की माँग की गई थी। ASI ने अपनी जाँच पूरी करके रिपोर्ट हाल ही में सार्वजनिक की है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यहाँ कभी एक बड़ा हिन्दू मंदिर हुआ करता था। अवशेष पर ढाँचा खड़ा है। परिसर के अंदर हिन्दू मंदिर मौजूद होने के भी कई सबूत मिले हैं।
ASI की रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्ञानवापी ढाँचे के भीतर मंदिर का अस्तित्व प्रमाणित करने वाली कई कृतियों को जानबूझकर छुपाकर रखा गया था। ये सभी कृतियाँ (मूर्तियाँ, शिलाएँ, शिलालेख) उन तहखानों की जाँच में मिले हैं, जिन्हें जानबूझकर दीवालों और मलबों के सहारे बंद कर दिया गया था।
ASI की टीम जब एक तहखाने में पहुँची तो उसे पता लगा कि इसके प्रवेश को जानबूझ कर ईंटों और मलबे से भरा गया था। इस मलबे को यहाँ की छतों में छेद करके भरा गया था। यह भी बताया गया कि दूसरे तहखाने को भरने के लिए यहाँ पाई गईं कलाकृतियों का इस्तेमाल किया गया। इन तहखानों में एक छोटा मंदिर, भगवान विष्णु के विग्रह, शैव द्वारपाल और बजरंग बली की मूर्तियाँ मिली हैं।
ASI ने अपनी खोज में यहाँ कई शिवलिंग और भगवान विष्णु के विग्रह भी मिलने की भी बात कही है। यहाँ से कृष्ण भगवान की एक प्रतिमा और भगवान गणेश का पत्थर से निर्मित एक सिर भी मिला है। नंदी की भी दो तोड़ी हुई मूर्तियाँ भी बरामद की गई हैं। यहाँ कई अन्य प्रतीक भी मिले हैं, जिनकी पहचान नहीं हो पाई, क्योंकि वे काफी क्षत-विक्षत अवस्था में थे।