सीबीआई ने दावा किया है कि पूर्व वित्त मंत्री और कॉन्ग्रेस नेता पी चिदंबरम के खिलाफ INX घोटाले में उसके आरोप महज़ मनगढ़ंत बातें नहीं हैं। जाँच एजेंसी का कहना है कि उसका केस तीन अहम सबूतों के आधार पर खड़ा है- गवाहों द्वारा मुहैया कराइ गई अहम जानकारी, इन्द्राणी मुखर्जी का बयान और दस्तावेज़ी सबूत। दस्तावेज़ी सबूत यानी दुनिया भर के देशों में छिपा कर रखा गया इस घोटाले से जुड़ा पैसा।
Case against Chidambaram not conjecture, but serious offence: CBI https://t.co/GEcOapWsq6#chidambaram #inxmediacase
— The English Post (@thenglishpost) October 26, 2019
समाचार एजेंसी आईएएनएस ने सीबीआई के एक सूत्र के हवाले से कहा है, “हम एक छिपा कर रखी गई (कैमोफ्लाज्ड) लकीर का पीछा कर रहे हैं। इसमें पैसा कई नामों से बैंक अकाउंटों में जमा किया गया जो लगभग एक दर्जन देशों में फैला हुआ है। हमारा केस बहुत ही स्पष्ट और साफ गवाहियों पर आधारित है। गवाही और सबूतों को सेक्शन सीआरपीसी की धाराओं 161 और 164 के अंतर्गत दर्ज किया गया है, जिसमें गवाहों ने ऑन द रिकॉर्ड आ कर कहा है कि चिदंबरम अदालत में गवाही न देने के लिए उन पर दबाव बना रहे हैं।”
सीबीआई ने इसी शुक्रवार को (26 अक्टूबर, 2019 को) सुप्रीम कोर्ट में एक रिव्यु पेटिशन डाली है। इसमें चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया केस में जमानत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट की तीन जजों की बेंच के आदेश को चुनौती दी गई है।
सीबीआई का कहना है कि उसकी जाँच में एफआईपीबी अप्रूवल के लिए रिश्वत के और भी मामले सामने आए हैं। बकौल सीबीआई, उसकी जाँच में और भी ऐसे मामले सामने आए हैं जब चिदंबरम के बेटे कार्ति पी चिदंबरम ने अपने स्वामित्व वाली कंपनी एएससीपीएल (एडवांस्ड स्ट्रेटेजिक) के ज़रिए 6 अन्य कंपनियों से कंसल्टेंसी या कमीशन के नाम पर पैसे मिले। इन सभी कंपनियों को एफआईपीबी अप्रूवल मिला था।
सीबीआई के मुताबिक अदालत को चिदंबरम को जमानत सीबीआई द्वारा दिए गए दस्तावेज़ी सबूतों को पढ़े बिना नहीं देनी चाहिए थी। एजेंसी ने चिदंबरम के खिलाफ सबूतों को एक सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपा था, जिसे उसके मुताबिक अदालत ने पढ़ने तक की जहमत नहीं उठाई। अदालत ने न केवल चिदंबरम को जमानत दे दी, बल्कि यह भी कहा कि सीबीआई का चिदंबरम द्वारा गवाहों को प्रभावित करने में सक्षम होना केवल एक सामान्य एहतियाती आशंका और बिना सबूत के है। वहीं सीबीआई का दावा है कि दो गवाहों को याचिकाकर्ता या उनके आदमियों ने सम्पर्क कर उनके या उनके बेटे के खिलाफ गवाही न देने के लिए कहा है।