वाराणसी स्थित ज्ञानवापी ढाँचे के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार (31 जनवरी, 2024) को ‘अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी’ को नोटिस जारी किया है। असल में हिन्दू पक्ष ने उस क्षेत्र के वैज्ञानिक सर्वे की माँग की थी, जिसे मुस्लिम वजूखाना बताते हैं लेकिन वहाँ शिवलिंग मिला था। इसी पर हाईकोर्ट ने वजूखाना से जवाब माँगा था। उधर ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति हिन्दुओं को मिल गई है। वाराणसी की जिला अदालत ने ये फैसला सुनाया है।
जिला प्रशासन को आदेश दिया गया है कि बैरिकेडिंग लगाया जाए और और एक सप्ताह के भीतर पूजा-पाठ की व्यवस्था की जाए। ये तहखाना ढाँचे के नीचे है। मुस्लिम पक्ष इसे मस्जिद बताता है। अब यहाँ नियमित पूजा-अर्चना के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया है। हिन्दू पक्ष ने इसे बड़ी जीत करार दिया है। बता दें कि नवंबर 1993 तक पूजा होती थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पूजा-पाठ पर रोक लगा दी थी। शैलेन्द्र कुमार पाठक ने इस संबंध में याचिका दाखिल की थी, जिस पर अब फैसला आया है।
वहीं मुस्लिम पक्ष इस मामले में ‘वर्शिप एक्ट’ का हवाला देते हुए कह रहा था कि पूजा-पाठ की अनुमति यहाँ नहीं दी जा सकती है। लेकिन, कोर्ट ने हिन्दू पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली। 17 जनवरी को ही ‘व्यास तहखाने’ को जिला प्रशासन ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। ASI ने यहाँ सर्वे किया था, साथ ही साफ़-सफाई भी की गई थी। इसे ‘व्यास तहखाना’ कहा जाता है, क्योंकि सोमनाथ व्यास नामक पुजारी और उनका परिवार यहाँ 1993 तक पूजा-अर्चना करता आ रहा था।
#WATCH | Advocate Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side says, "…Puja will start within seven days. Everyone will have the right to perform Puja…" pic.twitter.com/EH27vQQJdc
— ANI (@ANI) January 31, 2024
हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जिला प्रशासन व्यवस्था करेगा, वहाँ पूजा-पाठ शुरू हो जाएगी। इस फैसले के बाद ‘हर-हर महादेव’ के नारे भी लगे। उन्होंने इस घटना की तुलना 1986 के उस आदेश से की, जब केएम पांडेय ने यहाँ का ताला खुलवाया था। उन्होंने कहा कि वजूखाने का सर्वे अगला लक्ष्य है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद लोगों में उम्मीद जगी है कि काशी विश्वनाथ में भी उन्हें जीत मिलेगी।