कॉन्ग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। महाराष्ट्र में 5 सालों में नंबर एक से चौथे नंबर की पार्टी बन कर ख़ुशी मना रही कॉन्ग्रेस का यूपी के कई जिलों से गायब ही होती दिख रही है। गुरु गोरक्षनाथ की धरती पर कॉन्ग्रेस के पास एक अदद दफ्तर भी नहीं है। दूसरी तरफ पार्टी दावा करती है कि उत्तर प्रदेश में वो 2022 तक अपनी खोई हुई ज़मीन वापस ले लेगी। फ़िलहाल तो ऐसा लग रहा है कि ज़मीन वापस पाना तो दूर, ज़मीन पर उतरने के लिए ही कॉन्ग्रेस को वर्षों इंतजार करना पड़ेगा।
गोरखपुर जिले में कॉन्ग्रेस के पास दफ़्तर नहीं है। पार्टी वहाँ सिर्फ़ व्हाट्सएप्प से ही चल रही है। पार्टी के सारे कामकाज व्हाट्सएप्प के माध्यम से ही हो रहे हैं। इससे कहा जा सकता है कि कॉन्ग्रेस के नेता गोरखपुर जिले में ‘वर्क फ्रॉम होम’ कर रहे हैं। गोरखपुर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ है। वह यहाँ से 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं। इससे पहले उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ भी 4 बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। महंत दिग्विजयनाथ भी इस क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं।
गोरखपुर में कॉन्ग्रेस का एक दफ़्तर तक न होने की बात पर पार्टी नेता कहते हैं कि राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी को इससे अवगत करा दिया गया है। हालाँकि, अभी तक प्रियंका गाँधी की तरफ से उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला है। गोरखपुर कॉन्ग्रेस की अध्यक्ष निर्मला पासवान कहती हैं कि पार्टी को जल्द ही जिले में एक नया दफ्तर मिलेगा। वरिष्ठ नेता सैयद जमाल ने बताया कि जिला कॉन्ग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रहे भृगुनाथ चतुर्वेदी 2017 तक पुर्दिलपुर स्थित दफ्तर में बैठते थे, लेकिन उनके दिवंगत होने के बाद कॉन्ग्रेस के पास से ये दफ्तर भी चला गया।
कॉन्ग्रेस नेता अनाधिकारिक रूप से चारुचंद्रापुरी में स्थित एक घर को कभी-कभार दफ्तर के रूप में प्रयोग करते हैं। गोरखपुर में कॉन्ग्रेस की बैठकें विवाह भवनों में होती हैं। लेकिन अधिकतर पार्टी व्हाट्सएप्प पर ही कार्य करती है और बड़ी बैठकों के लिए ही मैरिज हॉल बुक किए जाते हैं।
The newly appointed district Congress president Nirmala Paswan said that the party will soon get its new officehttps://t.co/siniAYpUnY
— India Today (@IndiaToday) October 29, 2019
1991 से लेकर 2014 तक गोरखपुर में हुए हर लोकसभा चुनाव में भाजपा की ही जीत होती रही। इसके बाद हुए उपचुनाव में सपा के प्रवीण निषाद जीते, लेकिन बाद में वो भी भाजपा में शामिल हो गए और 2019 के लोकसभा चुनाव में भोजपुरी अभिनेता रवि किशन ने जीत दर्ज की। रवि किशन ने ख़ुद को गोरखनाथ मंदिर का उम्मीदवार बता कर वोट माँगा था। इस तरह से भाजपा ने 2019 में अपना खोया हुआ गढ़ फिर से हासिल कर लिया।
दीगर यह है कि कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गॉंधी के पास उत्तर प्रदेश का प्रभार है। लोकसभा चुनावों से पहले उन्हें विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई थी। इस इलाके का गोरखपुर महत्वपूर्ण केंद्र है। आम चुनावों में कॉन्ग्रेस के लिए प्रियंका कोई कमाल तो नहीं कर पाईं, लेकिन गोरखपुर जैसे जगह पर पार्टी के लिए अब तक एक दफ्तर भी नहीं शुरू करवा पाना उनकी सांगठनिक क्षमता का एक और नायाब नमूना है।