पंजाब के युवा सिंथेटिक नशे से मर रहे हैं। सस्ता केमिकल उनकी जान ले रहा है। इसलिए उन्हें ‘शुद्ध’ नशा दिया जाए, क्योंकि वो ‘नुकसान’ नहीं करेगा, यानी जानलेवा नहीं साबित होगा। इसीलिए सिंथेटिक नशे की जगह पंजाब के युवाओं को ‘अफीम’ और ‘पोस्त’ का नशा करने दिया जाए। अव्वल तो पंजाब में इतनी खपत होगी अफीम और पोस्त की, कि उसे बाहर से मंगाना सही नहीं होगा। ऐसे में पंजाब में ही अफीम और पोस्त की खेती करने लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाए। अगर, खेती नहीं करवानी, तो फिर पंजाब में अफीम और पोस्त के ‘ठेके’ ही खोल दिए जाएँ।
दरअसल, हम ये सब नहीं कह रहे हैं, बल्कि कुछ ऐसा ही कहना है आम आदमी पार्टी के विधायकों का, जिन्होंने विधानसभा में ही ‘काले सोने’ यानी अफीम की खेती की माँग कर दी है। पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में आम आदमी पार्टी के विधायक हरमीत सिंह मठान माजरा ने कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियाँ से पूछा कि क्या सरकार सिंथेटिक दवाओं पर रोक लगाने के लिए पंजाब में अफीम-पोस्त की खेती करने का इरादा रखती है? अगर हाँ, तो यह कब तक होने की संभावना है?
आप विधायक पठान माजरा ने कहा कि स्मैक और टैबलेट जैसे नशे ने पंजाब के युवाओं को बर्बाद कर दिया है। साल 2007 के बाद स्थिति और खराब हो गई है और अब स्थिति ऐसी है कि पंजाब में 136 नशा मुक्ति केंद्र खुल गए हैं। साल 2020 से 31 मार्च 2023 तक सिंथेटिक ड्रग्स की लत के कारण लगभग 266 लोगों की मौत हो चुकी है। मार्च 2023 से मार्च 2024 तक 159 और लोगों की मौत हो चुकी है। पहले के समय में लोग पारंपरिक औषधियों का सेवन भी करते थे और अपना काम भी करते थे। कोई यह नहीं कह सकता कि उनके किसी परिचित की मृत्यु अफीम या पोस्त भूसी के सेवन के कारण हुई। राजस्थान और मध्य प्रदेश में पोस्त की खेती पहले से ही हो रही है। अगर पंजाब में ऐसा किया गया तो इससे राज्य का राजस्व बढ़ेगा।”
विधायक पठान माजरा ने यहाँ तक कहा कि अगर अफीम-पोस्त की खेती की इजाजत नहीं दी जा सकती तो कम से कम राज्य में दुकानें खोली जानी चाहिए ताकि पंजाब के युवाओं को बचाया जा सके। हालाँकि जब पठान माजरा ने कृषि मंत्री से अफीम की खेती को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि पंजाब में अफीम की खेती को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है। वहीं, विधानसभा के स्पीकर ने इस सवाल को गंभीरता से लेते हुए कहा कि पहले सरकार इस बात की जानकारी करे कि अफीम और पोस्त की खेती बंद क्यों की गई थी और ठेकों को बंद करने की क्या वजह थी।