जर्मनी के एक स्कूल में 2 टीचरों द्वारा कक्षा 5 में पढ़ने वाले सभी गैर-मुस्लिम छात्रों के पानी पीने पर रोक लगा दी गई है। बताया जा रहा है कि यह फरमान दोनों टीचरों में क्लास में पढ़ने वाले उन मुस्लिम छात्रों की सुविधा को देख कर दिया है जिनके रमजान माह में रोज़े चल रहे हैं। कुल 27 छात्रों की इस कक्षा में मुस्लिम बच्चों की तादाद महज 3 है। इस मामले में अभी तक स्कूल की तरफ से कोई सफाई नहीं आई है।
यह मामला जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर का है। यह घटना सबसे पहले बुधवार (13 मार्च 2024) को NIUS नाम के जर्मन न्यूज़ संस्था में प्रकाशित हुई है। इस न्यूज़ में हेडलाइन के तौर पर लिखा गया, “फ्रैंकफर्ट के पास एक बड़ा स्कूल जहाँ पाँचवी क्लास के छात्रों को पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि रमजान है।” इसी रिपोर्ट में क्लास में पढ़ने वाले 27 छात्रों में 3 मुस्लिम छात्र बताए गए हैं। सभी छात्रों की उम्र 10 से 11 साल के बीच है। इन छात्रों ने घर जा कर अपने अभिभावकों को बताया कि उन्हें सहपाठी मुस्लिम छात्रों के रोज़े होने की वजह से पानी नहीं पीने दिया गया।
न्यूज़ संस्था NIUS ने एक गैर मुस्लिम छात्रा के पिता से भी बात करने का दावा किया है। उस पिता ने बताया कि वो स्कूल से आने के बाद अपनी बेटी से दिन भर के बारे में बातचीत करते हैं। इस बातचीत में स्कूल का माहौल और बेटी की दिनचर्या आदि मुद्दे शामिल होते हैं। रात में खाने के समय उस छात्रा ने अपने पिता को बताया कि 2 टीचरों ने उसे क्लास में पानी इसलिए नहीं पीने दिया क्योंकि 27 में से 3 छात्रों के रोजे चल रहे थे। बच्ची से मिली जानकारी हैरान पिता ने इसे एक बेहद अजीब फरमान बताया।
बच्ची के पिता ने आगे कहा कि एक आम मुस्लिम के लिए भी रोज़े आदि रखने की आदर्श उम्र 14 साल मानी जाती है लेकिन क्लास में अधिकतर बच्चे महज 10-11 साल के ही हैं। छात्रा की माँ ने अपनी बेटी से कहा कि अब आगे सेउन्हें स्कूल में जब भी प्यास लगे तो उसे पानी पी लेना चाहिए। हालाँकि अब तक सामने आए तथ्यों के मुताबिक यह निर्णय पूरे स्कूल के बजाय महज 2 टीचरों का ही लग रहा है। अन्य क्लास के छात्रों के साथ ऐसी किसी पाबंदी की जानकारी फ़िलहाल अभी तक सामने नहीं आई है।
🇩🇪‼️ Move over, Christmas! Frankfurt embraces multiculturalism by becoming the first German city to introduce Ramadan lighting throughout its city center. pic.twitter.com/nnKR6xSRAn
— Remix News & Views (@RMXnews) March 5, 2024
हालाँकि NIUS द्वारा कई बार सम्पर्क की कोशिश के बावजूद स्कूल प्रशासन ने इस फरमान पर अभी तक अपना कोई आधिकरिक बयान जारी नहीं किया है। यह घटना जर्मनी के उसी फ्रैंकफर्ट की हैं जिसने मार्च 2024 में शहर में रमजान के मौके पर लाइटें लगवाई थीं। यह लाइटें फ्रैंकफर्ट के सिटी सेंटर क्षेत्र में लगीं थीं। तब जर्मनी की ग्रीन पार्टी ने इसे भाईचारे का प्रतीक बता कर मुस्लिमों को दोस्ती का पैगाम देने वाला कदम बताया था। इसी ग्रीन पार्टी से फ्रैंकफर्ट के मेयर नर्गेस एस्कंदारी-ग्रुनबर्ग ने भी इसे ‘एकजुटता की रोशनी’ बताया था।