दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि अमेरिकी फार्मा कम्पनी फाइजर को ही ‘वियाग्रा’ नाम से अपने उत्पाद बेचने का अधिकार है। हाई कोर्ट ने कहा कि कोई अन्य कम्पनी इससे मिलते जुलते नाम से उत्पाद नहीं बेच सकती। हाई कोर्ट ने इसको लेकर एक कम्पनी को फाइजर को ₹3 लाख देने का भी आदेश दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फाईजर ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका लगा कर कह था कि एक अन्य कम्पनी रेनोविज़न भी वियाग्रा से मिलते जुलते नाम से अपने उत्पाद बेच रही है। फाइजर ने इसकी बिक्री प्रतिबंधित करने की माँग की थी। फाइजर ने रेनोविजन के ‘विगोरा’ नाम से बेचे जाने वाले उत्पादों के खिलाफ यह याचिका दायर की थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि फाइजर के वियाग्रा नाम से उत्पाद बेचने से पहले यह नाम कहीं और नहीं था और ना ही इसका कोई शाब्दिक अर्थ होता है। इसके अलावा उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य भी इसी बात की गवाही देते हैं। कोर्ट ने कहा कि फाइजर ने भारत में भी इस नाम का पंजीकरण करवाया है जो कि उन्हें यह नाम उपयोग करने का एकल अधिकार देता है। हाई कोर्ट ने रेनोविजन की दलीलें भी इस मामले में में खारिज कर दी।
रेनोविजन ने कहा कि विगोरा के नाम से बिकने वाले उसके उत्पाद वियाग्रा से अलग हैं और उनके बनने तथा उनके असर करने की विधि भी अलग है। रेनोविजन ने कोर्ट से दावा किया कि जहाँ फाइजर का वियाग्रा उत्पाद पुरुषों की शक्तिवर्धक दवाई है तो वहीं उसका विगोरा उत्पाद होम्योपैथिक है और महिलाओं की मासिक धर्म सम्बन्धित समस्याओं को सही करने के लिए है। कम्पनी ने विगोरा 1000, विगोरा 2000 और विगोरा 5000 के नाम से बेचे जाने वाले उत्पादों को फाइजर के उत्पादों से अलग बताया।
हाई कोर्ट ने फाइजर की दलीलों को सही मानते हुए कहा कि रेनोविजन के उत्पादों के नाम फाइजर के उत्पादों से मिलते हैं। हाई कोर्ट ने इनके निर्माण, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने रेनोविजन को यह भी आदेश दिया कि वह ₹3 लाख फाइजर को चुकाए।