कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस चित रंजन दाश ने सोमवार (20 मई, 2024) को अपने सेवानिवृत्ति भाषण में बताया कि वह बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं। उन्होंने खुद पर RSS का एहसान बताया और कहा कि इस संगठन ने उनका चरित्र निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि अब वह संगठन का काम करने के लिए दोबारा मुक्त हैं।
जस्टिस चित रंजन दाश ने अपने सेवानिवृत्ति के उपलक्ष्य में रखे गए कार्यक्रम में कहा, “आज, मैं अपने मन की बात बताता हूँ। मैं एक संगठन का बहुत आभारी हूँ। मैं बचपन से लेकर युवा होने तक तक वहाँ रहा हूँ। मैंने साहसी, ईमानदार होना, दूसरों को बराबर मानना, देशभक्ति की भावना और सबसे ज्यादा आप जहाँ भी काम करते हैं वहाँ काम के प्रति प्रतिबद्धता सीखी है। मुझे यहाँ यह स्वीकार करना होगा कि मैं RSS का सदस्य था और अभी भी हूँ।”
जस्टिस दाश ने बताया कि उन्होंने न्यायपालिका में आने के बाद RSS से दूरी बना ली थी लेकिन अब वह वापस जाने के लिए मुक्त हैं और जिस भी तरह से संगठन की सेवा हो सकेगी, करेंगे। उन्होंने कहा, “मैंने अपने काम के कारण लगभग 37 वर्षों तक संगठन (RSS) से दूरी बना ली थी। मैंने कभी भी RSS की सदस्यता का उपयोग अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए नहीं किया, क्योंकि यह हमारे सिद्धांतों के विरुद्ध है।”
आगे उन्होंने बताया, “अगर उन्हें (RSS) किसी भी काम के लिए मेरी जरूरत होगी तो मैं RSS में वापस जाने के लिए तैयार हूँ। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है इसलिए मैं कह सकता हूँ कि मैं RSS से हूँ क्योंकि यह भी गलत नहीं है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायपालिका में काम करने के दौरान वह सबको समान रूप से देखते रहे। उन्होंने कहा, “मैंने सभी के साथ समान व्यवहार किया है, चाहे वह कम्युनिस्ट व्यक्ति हो, चाहे वह भाजपा या कॉन्ग्रेस का व्यक्ति हो या यहाँ तक कि TMC का आदमी हो।”
जस्टिस दाश बीते 37 वर्षों से न्यायपालिका में काम कर रहे थे। वह बीते 15 वर्षों से हाई कोर्ट में जज थे। वह कलकत्ता हाई कोर्ट तीसरे सबसे वरिष्ठ जज थे। वह कलकत्ता हाई कोर्ट से पहले ओडिशा हाई कोर्ट में भी जज रहे हैं। ओडिशा में वह जिला स्तर के जज भी कई जिलों में रहे हैं।