आर्थिक रूप से कंगाल पाकिस्तान के भीतर अपने मार्च महीने में पाँच इंजीनियरों की मौत के बाद चीन लगातार पड़ोसी मुल्क पर दबाव बना रहा है वह उसके कहने पर चले। चीन के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ बैठक की है जिसमें पाकिस्तान के भीतर चीनी लोगों की सुरक्षा पर बातचीत हुई। चीन पाकिस्तान की फ़ौज पर अपनी मर्जी चलाना चाह रहा है लेकिन पाकिस्तान इस बात को छुपाने में जोरशोर से लगा हुआ है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन ने पाकिस्तान से कहा है कि वह बलूचिस्तान में अपनी ही जनता के विरुद्ध ज़र्ब ए अज्ब की तरह एक आतंक विरोधी सैन्य ऑपरेशन चलाए। चीन का कहना है कि इससे यहाँ काम करने वाले उसके कामगार सुरक्षित महसूस कर पाएँगे। यह रिपोर्ट सबसे पहले पाकिस्तान के बिज़नस रिकॉर्डर अख़बार ने छापी थी और उसके बाद कई अन्य जगह भी यह बात सामने आई।
पाकिस्तान ने चीन की बलोच लोगों के विरुद्ध ऑपरेशन चलाने की माँग को नकार दिया है। इस खबर को बिजनेस रिकॉर्डर ने भी हटा दिया है। उस हटाई गई खबर के अनुसार, “योजना, विकास और विशेष पहल मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों ने बिजनेस रिकॉर्डर को बताया कि चीन ने पाकिस्तान से एक और ज़र्ब-ए-अज्ब शुरू करने को कहा है।”
रिपोर्ट में बताया गया कि चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइडोंग ने पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के चीन दौरे से पहले बैठक की थी। सुन वेइडोंग ने इस दौरान चीनी हितों को साधने के लिए ज़र्ब ए अज्ब की जरूरत बताई। गौरतलब है कि बलोचिस्तान से गुजरने वाले चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में काम करते हुए कई चीनी नागरिकों ने अपनी जान गँवाई है। बलोचिस्तान में रहने वाले लोगों ने इसे चीन का अवैध कब्जा बताया है और लगातार विरोध किया है।
स्थानीय लोगों के बढ़ते विरोध, पाकिस्तानी फ़ौज की पोस्ट पर लगातार होते हमलों के कारण चीन उससे खफा है। स्थानीय लोगों को यह भी शक है कि चीन पाकिस्तान से यह भी कह रहा है कि वह पाकिस्तानी फ़ौज हटाकर अपनी सेना लगा दे, यदि वह स्वयं रक्षा ना कर पाए। इससे यह बात भी साफ़ हो आएगी कि पाकिस्तान, चीन की कठपुतली बन कर रह जाएगा। यह भी सामने आया है कि चीन पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट पर खुद की सेना लगाने की योजना भी बना रहा है।
यदि ऐसा होता है तो यह पाकिस्तान की संप्रभुता और उसकी फ़ौज की काबिलियत पर भी प्रश्न उठाएगा। चीन का यह पूरा प्रयास हालिया हमले के बाद ही सामने आया है। इस हमले में पाँच चीनी इंजीनियर मारे गए थे। इसके बाद चीन की कम्पनियों ने पाकिस्तान में अपना कामकाज रोक दिया था। चीन ने इसके बाद पाकिस्तान पर दबाव डाला था कि वह इन इंजीनियरों के परिवारों को 25 लाख डॉलर का मुआवजा दे।
इससे पहले 2016 में चीन जर्ब ए अज्ब ऑपरेशन की तारीफ़ कर चुका है। 2016 में पाकिस्तान में चीन के राजदूत रहे सुन वेइडोंग ने कहा था कि इस ऑपरेशन के कारण पाकिस्तान में सुरक्षा हालात बदले हैं। बताया गया है कि चीन के नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान ने 12,000 से अधिक अर्धसैनिक बल लगाए हैं।
स्थानीय जनसंख्या के नरसंहार की योजना थी ज़र्ब ए अज्ब
ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज्ब 15 जून 2014 को पाकिस्तान-अफ़गानिस्तान सीमा पर उत्तरी वज़ीरिस्तान प्रान्त में शुरू किया गया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि यह एक आतंकवाद विरोधी अभियान था। जबकि इस ऑपरेशन पर आरोप थे कि इससे पाकिस्तान समर्थक जिहादी समूह पनपे, स्थानीय लोगों को हत्याएँ हुई और पूरे इलाके में खून खराबा हुआ।
जर्मन मीडिया DW के अनुसार, पाकिस्तानी विशेषज्ञ और ओकलाहोमा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के असिस्टेंट प्रोफेसर अकील शाह ने बताया था कि पाकिस्तानी फ़ौज के आतंकवाद विरोधी अभियान में अंतर्विरोधी बातें हैं। शाह ने बताया कि फ़ौज पाकिस्तान में हमले करने वाले आतंकवादियों पर कार्रवाई करती है, लेकिन वह अपने दुश्मनों पर हमला करने वालों को संरक्षण देती है।
DW से बात करते हुए शाह ने बताया था, “फ़ौज ने टीटीपी के दुश्मन गुटों से लड़ाई लड़ी है, लेकिन वह भारत के खिलाफ आतंकवादी समूहों का इस्तेमाल करना जारी रखती है।” उन्होंने हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान का उदाहरण दिया, जिसने पाकिस्तान को अफगानिस्तान पर अपना प्रभाव बनाए रखने में मदद की, साथ ही लश्कर-ए-तैयबा, जो भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाना और उन्हें अंजाम देना जारी रखता है।
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी अपनी भारत यात्रा के दौरान यही बात कही थी। नई दिल्ली में केरी ने कहा था, “यह साफ़ है कि पाकिस्तान को अपने आतंकी समूहों के खिलाफ़ और अधिक कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है जो आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े हैं।” उन्होंने पाकिस्तान से माँग की थी वह भारत में हमला करने वाले आतंकी को खत्म करने में सहायता करे ताकि दोंनो देशों के बीच शान्ति का वातावरण बन सके।
इस ऑपरेशन को लेकर कई विशेषज्ञों ने कहा था कि यह कभी आतंकियों को खत्म करने को लेकर चालू ही नहीं किया गया था। इस ऑपरेशन के दौरान पश्तूनों और बलोचों पर भी काफी अत्याचार हुए थे। बड़ी संख्या में लोगों को मारा गया था और काफी लोग गायब हो गए थे।
चीन के पाँच दिन के दौरे पर जा रहे PM शहबाज शरीफ
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ 4 से 8 जून तक चीन में रहेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है, क्योंकि वे विवादास्पद CPEC परियोजना के दूसरे चरण को शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में, पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने बीजिंग का दौरा किया और अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बातचीत की। बैठक के दौरान, वांग ने पाकिस्तान में चीनी कर्मियों पर लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों पर चिंता व्यक्त की और इस्लामाबाद से उनकी सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करने को कहा। इस पर पाकिस्तान ने कहा कि उसने देश में चीनी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए 12,000-सदस्यीय अर्धसैनिक बल लगाया है।