उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथावाचक नारायण साकार विश्व हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ के सत्संग में हुई भगदड़ में मृतकों की संख्या 121 हो गई है। भोले बाबा के अनुयायी मानते हैं कि उनमें चमत्कारी शक्ति है। इसलिए घटना के दिन उनके चरणों की धूल लेने के लिए भगदड़ मची और इतने लोग मारे गए। इतना ही नहीं, भोले बाबा ने 23 साल पहले एक मृत लड़की को जिंदा करने का दावा भी किया था।
बात साल 2000 की है। उसने 16 साल की एक मृत लड़की के शव को उसके परिजनों से जबरन छीन लिया था और दावा किया था कि वह उसे जिंदा कर देगा। खुद के जादुई शक्तियों के कथित दावे के कारण भोले बाबा के खिलाफ साल 2000 में आगरा के शाहगंज थाने में मुकदमा दर्ज कर गिरफ़्तार कर लिया गया था। हालाँकि, बाद में यह मामला बंद कर दिया गया था।
लड़की को जिंदा करने का दावा, पुलिस ने किया था गिरफ्तार
आगरा के शाहगंज के तत्कालीन SHO तेजवीर सिंह ने बताया, “18 मार्च 2000 को सूरज पाल 200-250 लोगों के साथ श्मशान घाट पर पहुँचे। वहाँ स्थानीय व्यक्ति की 16 वर्षीय बेटी स्नेहलता का शव उसके परिवार द्वारा लाया गया था। सूरज पाल और अन्य लोगों ने परिवार को अंतिम संस्कार करने से रोक दिया और उन्हें समझाने की कोशिश की कि वह उसे फिर से जीवित कर सकता है।”
तेजवीर सिंह ने बताया कि भोले बाबा और उसके लोगों ने शव को परिवार से जबरन छीन लिया था। इस बीच पुलिस को सूचना दी गई। उन्होंने आगे बताया, “जब हम मौके पर पहुँचे तो सूरज पाल और उसके समर्थकों ने हमसे बहस की। उन्होंने दावा किया कि वह लड़की को फिर से जीवित कर सकता है। इसके बाद उसके समर्थकों ने पुलिस टीम पर पथराव शुरू कर दिया।”
इसके बाद अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को बुला स्थिति को नियंत्रित किया गया और सूरज पाल एवं उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। शाहगंज थाने में सूरज पाल, उसकी पत्नी और चार अन्य (जिनमें से दो महिलाएं थीं) समेत छह लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 109 और ड्रग्स एवं मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) के तहत मामला दर्ज किया गया।
इस मामले में सूरज पाल और उनकी पत्नी सहित सभी 6 लोगों के खिलाफ जाँच करके आरोप पत्र भी दाखिल किया गया। बाद में नए सबूत सामने आने के बाद आगे की जाँच की गई। आगरा के पुलिस उपायुक्त सूरज कुमार राय ने बताया, “आगे की जाँच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई।”
भूत-प्रेत भगाने का होता था काम
उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कॉन्स्टेबल रह चुका सूरजपाल जाटव अपनी पत्नी प्रेमावती के साथ आगरा के केदारनगर इलाके में रहते थे। उनके साथ दो महिलाओं सहित चार अन्य लोग भी रहा करते थे। ये खुद को बाबा में प्रचारित करता था। इसकी सभा में विशेष रूप से दलित और रिक्शा चालक, मजदूर आदि कम आय वर्ग के लोग आते थे।
कई लोगों के हवाले से लिखा है कि भोले बाबा किसी तरह का चढ़ावा नहीं माँगते थे और वे दलित परिवार से थे। इसलिए वे उनकी तरफ ज्यादा आकर्षित हुए। हादसे में घायल एक महिला की बहन उर्मिला देवी ने कहा, “बाबा न तो कुछ लेते हैं और न ही कुछ माँगते हैं। अपने सत्संग में वे हमें झूठ न बोलने और मांस, मछली, अंडा और शराब नहीं खाने-पीने की सलाह देते थे।”
अस्पताल के बिस्तर पर घायल पड़ी हुई उर्मिला देवी की बहन तारामती ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “जब सत्संग समाप्त हो रहा था तो भोले बाबा ने कहा, ‘आज प्रलय आएगी और फिर प्रलय आ गई।” हाथरस जिले के डोनकेली गाँव के निवासियों का कहना है कि हर गाँव में भोले बाबा के 10 से 12 सेवादार (मुख्य अनुयायी) हैं। वे लोगों को बसों आदि से कार्यक्रम स्थल तक ले जाते हैं।
भोले बाबा के कई अनुयायी अपने गले में उनकी तस्वीर वाला पीला लॉकेट पहनते हैं। उनका गुलाबी रंग का विशेष ड्रेस होता है। एक अन्य अनुयायी ने बताया कि ये हादसा बाबा सत्संग के बाद बाबा के चरण की धूल लेने के लिए हुई भगदड़ के कारण हुई। उसका कहना है, “यदि आप उनके पैरों की धूल अपने शरीर या सिर पर लगाते हैं, तो यह सभी बीमारियों को ठीक कर देती है”।
वहीं, सोखना गाँव के लोगों का कहना है कि ‘भोले बाबा’ भूत-प्रेत भगाने का काम करते थे। खासकर छोटी लड़कियों पर से। एक ग्रामीण ने दावा किया, “सत्संग में 100 से अधिक लोग भूत-प्रेत से पीड़ित थे और उन्होंने सभी को ठीक कर दिया।” सिकंदराराऊ के दामादपुरा में कुछ महिलाओं ने बताया, “उन्होंने हमसे कहा कि अगर हम अच्छे मार्ग पर चलेंगे तो अगले जन्म में बेहतर होगा।”
हादसे के बाद भागते भोले बाबा की फुटेज आई सामने
हादसे के बाद भोले बाबा ने कहा था कि भगदड़ से पहले ही वह अपने सत्संग स्थल से चले गए थे। हालाँकि, सामने आए सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि वह कड़ी सुरक्षा के बीच वहाँ से निकल रहे हैं। 47 सेकंड की क्लिप में भोले बाबा के सुरक्षाकर्मी काफिले के आने की सूचना मिलने पर सड़क के डिवाइडर और सड़क के दोनों तरफ हरकत में आ जाते हैं। इसके बाद बाबा वहाँ से निकल जाते हैं।
काफिले के रवाना होने का समय प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से मेल खाता है। इसमें बताया गया है कि भगदड़ तब शुरू हुई, जब श्रद्धालु भोले बाबा की कार के पीछे भागते समय फिसलकर कीचड़ में गिर गए। इंडिया टीवी ने यह सीसीटीवी फुटेज हासिल की है। इसमें काले कपड़े पहने सुरक्षाकर्मियों के बीच दर्जनों मोटरसाइकल वाले काफिले के साथ बाबा वहाँ से निकलते हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने सत्संग के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। FIR में उन पर सबूत छिपाने, स्वीकृत क्षमता से अधिक लोगों को लाने और अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया है। FIR में कहा गया है कि आयोजकों ने 80,000 लोगों के लिए अनुमति माँगी थी, लेकिन 2.5 लाख से अधिक लोगों को कार्यक्रम स्थल में आने दिया। इससे समस्या उत्पन्न हुई।