लखनऊ के मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़ाने वाले हिंदूवादी कुलदीप तिवारी को धर्म के लिए आवाज उठाने पर नौकरी से निकाल दिया गया है। इसकी जानकारी खुद कुलदीप तिवारी ने वीडियो के माध्यम से दी है और इस संबंध में जिलाधिकारी को शिकायत भी की है। शिकायत में उन्होंने बताया कि स्कूल ने उनके खिलाफ ये कार्रवाई इसलिए की है क्योंकि वो धार्मिक टिप्पणियाँ करते थे, जनहित में डाले गए कई मुकदमों में वादी हैं, माथे पर तिलक लगाते हैं, कलावा पहनते हैं व शिखा रखते हैं।
अपने शिकायत पत्र में उन्होंने बताया कि वो 10 नवंबर 2009 से सिटी मॉन्टेसरी स्कूल की ऐशबाग राजेंद्र नजर प्रथम शाखा में गणित टीचर के रूप में पढ़ाते रहे और सेवा में बिन किसी व्यवधान उन्होंने लगभग 15 साल से अध्यापन का काम किया है। उनके अनुसार नौकरी के दौरान वह साधारण भेष-भूषा में रहते थे, केवल हिंदू होने के नाते प्रतिदिन माथे पर तिलक लगाकर हैं, शिखा रखकर स्कूल जाते थे
तिवारी बताते हैं कि उनके द्वारा कोर्टों में डाले गए मुकदमे और उनकी भेष-भूषा की वजग से स्कूल की प्रिंसिपल जयश्रीकृष्णन एवं रीटा फ्लेमिंग द्वारा कई बार उन्हें कार्यालय में बुलाया गया और तिलक मिटाने व शिखा हटाने के लिए दबाव दिया गया। इसके अलावा उनका कहना है कि उनका अपमान करके कई बार उनका अभद्र ढंग से मजाक भी बनाया गया है। शिकायत के अनुसार उनसे कहा गया था- “अगर CMS में नौकरी करनी है चुटिया हटाकर आइए।”
सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (इंटर कॉलेज) लखनऊ में बच्चों को नैतिक शिक्षा के नाम पर बहाई (इस्लाम महजब की शाखा) शिक्षा की ओर प्रेरित किया जा रहा है। @myogiadityanath @myogioffice @UPGovt @dgpup @Uppolice @AdminLKO श्री कुलदीप तिवारी जी को न्याय दिलाइये। https://t.co/ZYfTrAWWOl
— गगन शर्मा (ഗഗൻ ശർമ) (@GagansharmaLko) July 22, 2024
इसके अलावा बताया गया कि 29 अक्टूबर 2023 को उनकी अध्यक्षता में उनकी संस्था ने विशवेशवरैया सभागार में ज्ञानवापी मंदिर मॉडल की प्रदर्शनी तथा काशी मथुरा भोजशाला जन जागरण संबंधी एक आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन कराया था। इसमें अनेक क्षेत्रों से आए प्रतिष्ठित विद्वानों, आध्यात्मिक गुरु एवं अधिवक्ताओं ने सहभागिता ली थी। इस आयोजन के बाद ही उनकी प्रिंसिपल ने उन्हें बुलाया और इस्तीफा देने की बात कही।
तिवारी के अनुसार प्रिंसिपल ने उनसे कहा, “आपने भोजशाला, ज्ञानवापी और मजारों को ध्वस्त किए जाने को लेकर जो भी केस किए हैं उन्हें या तो वापस लीजिए अन्यथा तत्काल प्रभाव से सीएमएस से इस्तीफा दीजिए।” इस पर तिवारी ने अपनी नौकरी बचाने के लिए कहा- “मैं जो भी कार्य कर रहा हूँ वो पूर्ण रूप से कानूनी है एवं जनहित में न्यायालयों के समक्ष विचाराधीन है। कोई भी केस वापस नहीं हो सकता।” इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने यह भी कहा कि उनका कोई भी कार्य न तो सीएमएस के विरुद्ध है और न ही स्कूल की छवि बिगाड़ने के लिए किया गया है।
इसके बाद 22 मार्च को जब भोजशाला मामले में ASI सर्वे शुरू हुआ तो तिवारी भी इसमें शामिल हुए। जहाँ उन्होंने सर्वे संबंधी प्रगति पर मीडिया को बयान दिया। घटना के बाद फिर प्रिंसिपल ने कार्यालय में बुलाया और कहा गया कि उनसे पहले ही सारे केस वापस लेने को कहा गया था लेकिन उन्होंने चूँकि कोई केस वापस नहीं लिए इसलिए वो आगे नौकरी नहीं करेंगे। प्रिंसिपल ने उन्हें कहा- “आप स्वत: त्यागपत्र दे दें बेहतर होगा, वरना हम आपको बर्खास्त कर देंगे। पाई-पाई के मोहताज हो जाओगे फिर सड़क पर बैठकर हिंदुस्तव की रोटी खाना।”
इस बार भी कुलदीप तिवारी ने उन्हें समझाने का खूब प्रयास किया। लेकिन इस बार कारण बताओ नोटिस जारी करके उन्हें निरर्थक, आधारहीन, अप्रमाणिक एवं मनगढ़ंत कहानियों के साथ उन्हें 1 जुलाई को बर्खास्त कर दिया गया।
अब इसी मामले में उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र लिख शिकायत दी है। उन्होंने कहा कि स्कूल की प्रिंसिपल ने उनपर जबरन दबाव बनाया, धमकी दी, मानसिक प्रताड़नाएँ दी और शोषण किया। इसके अलावा इस तरह नौकरी से निकाले जाने को उन्होंने अपना अपमान बताया और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला कहा।
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा डाली गई याचिकाओं को वापस लेने का दबाव किन्हीं व्यक्तिगत कारणों से या दुर्भावना के कारण किया गया है। उन्हें शंका है इस मामले में किसी बाहरी, विदेशी, राष्ट्रविरोधी अथवा अन्य अराजत शक्तियों का दबाव भी हो सकता है। उन्होंने नौकरी से बर्खास्त होने का लेटर पाने के बाद साफ तौर पर कहा कि वो कि वो केस वापस नहीं लेंगे। उन्हें न्याय चाहिए।
बता दें कि कुलदीप तिवारी, इंदौर हाईकोर्ट में चल रहे भोजशाला प्रकरण के प्रमुख केस के वादी हैं। साथ ही काशी ज्ञानवापी प्रकरण के अति महत्वपूर्ण प्रमुख मामलों और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण में संबंधित न्यायालयों में चल रही जनहित याचिकाओं के वादी व पक्षकर हैं। वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी अवैध मजारों, मस्जिदों व अन्य गैरकानूनी मजहबी इमारतों को ध्वस्त किए जाने की माँग में वादी हैं।