केरल के वायनाड जिले में हुए भूस्खलन के कारण मौतों का आँकड़ा 275 पार कर चुका है। सैकड़ों की संख्या में लोग अब भी गायब हैं। 1000 से ज्यादा लोगों को सेना-वायुसेना और NDRF ने बचाया है। केरल में इस घटना पर दो दिन का राजकीय शोक भी घोषित किया गया है। घटना के बाद अब केरल कीई पिनराई विजयन सरकार पर लापरवाही के आरोप लगाने चालू हो गए हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वायनाड जिला प्रशासन को दो दिन पहले ही पता चल गया था कि इस इलाके में भारी बारिश और भूस्खलन की संभावना है। गृह मंत्री अमित शाह ने केरल को चेतावनी दिए जाने की ही राज्यसभा में बुधवार (31 जुलाई, 2024) को कही थी। वहीं दूसरी तरफ भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा है कि वायनाड के इस इलाके से लोगों को इसलिए नहीं पूर्व निकाला गया था क्योंकि वामपंथी सरकार पर मजहबी संगठनों का दबाव था।
केरल को लगातार मिली थी चेतावनी
ऑनमनोरमा में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वायनाड जिले में घटना से एक दिन पहले सोमवार को जब वर्षा का स्तर 200 मिलीमीटर पार हो गया था तो जिला प्रशासन को चेतावनी भेज दी गई थी। इस चेतावनी में भूस्खलन का जिक्र था। रिपोर्ट के अनुसार, जिला प्रशासन ने इसे काफी हल्के में लिया और और केवल एक अलर्ट जारी किया। इस चेतावनी में भी लोगों को खतरे वाले इलाके से निकल जाने को लकर कोई सलाह नहीं दी गई। इसके कुछ ही घटों के बाद यह दर्दनाक हादसा हुआ।
वायनाड में 200 से अधिक मौसम निगरानी यूनिट चलाने वाले ह्यूम सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड वाइल्डलाइफ बायोलॉजी ने भूस्खलन से दो दिन पहले ही चेतावनी दी थी। इसने उन इलाकों में विशेष रूप से खतरा बताया था जहाँ बाद में यह आपदा आई। इस सेंटर के मुखिया CK विष्णुदास ने बताया है कि जिला प्रशासन को सोमवार को ही भूस्खलन की चेतावनी दे दी गई थी। उन्होंने यह भी बताया है कि इन गाँवों से लोगों को निकालने की सलाह भी दी गई थी। हालाँकि, इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया आपदा आ गई।
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया- 7 दिन पहले चेताया
गृह मंत्री अमित शाह ने अमित शाह ने बुधवार (30 जुलाई, 2024) को सदन में देश को बताया ,”वायनाड के हालातों पर कहा जा रहा है कि पहले चेतावनी दी जानी चाहिए थी, लेकिन हकीकत तो ये है कि केंद्र ने 23 जुलाई को ही केरल सरकार को चेतावनी जारी कर दी थी यानी 7 दिन पहले। इसके बाद 24 और 25 जुलाई को भी चेतावनी भेजी गई थी। हर बार बताया गया था कि राज्य में भारी वर्षा और भूस्खलन के अनुमान हैं जिसमें लोगों की जान जा सकती है।”
तेजस्वी सूर्या का दावा- मजहबी संगठन के दबाव में नहीं हटाए गए लोग
बेंगलुरु दक्षिण से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी इस मुद्दे पर राहुल गाँधी और केरल सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “2020 में केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने वायनाड में भूस्खलन के खतरे वाले इलाकों से 4,000 परिवारों को हटा कर दूसरी जगह बसाने की सलाह दी थी। आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई और वायनाड के सांसद राहुल गाँधी ने आज तक इस मुद्दे को उठाया भी नहीं। विधानसभा में केरल के वन मंत्री ने स्वीकार किया कि वे अवैध अतिक्रमण नहीं हटा पा रहे हैं क्योंकि उन पर विभिन्न मजहबी संगठनों का दबाव था।”
सांसद तेजस्वी सूर्या ने इसके बाद वायनाड आपदा को मानवनिर्मित आपदा बताया। उन्होंने कहा, “वायनाड में जो हुआ है, वह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है। यह मानव निर्मित आपदा है। यह मैं नहीं कह रहा, यह केरल के विशेषज्ञ कह रहे हैं। पिछले 5-6 सालों में देश में जितनी भी भूस्खलन की घटनाएँ हुई हैं, उनमें से 60% केरल में हुई हैं।”
VIDEO | Congress leaders Rahul Gandhi (@RahulGandhi) , and Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) visit the ground zero at landslide-hit Wayanad, Kerala.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 1, 2024
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvqRQz) pic.twitter.com/WbbFvfSqAX
इस घटना के बाद गुरुवार (1 अगस्त, 2024) को लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका गाँधी वायनाड पहुँचे हैं। उन्होंने हादसे में प्रभावित इलाके का दौरा किया है। दोनों पहले ही यहाँ जाने वाले थे लेकिन उनका हवाई जहाज वहाँ नहीं पहुँच पाया था इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया था।