केरल हाई कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति की सजा घटा कर 20 साल कर दी है जिसे अपनी ही बेटी का रेप करने के कारण निचली अदालत ने मरते दम तक कैद की सजा सुनाई थी। वह 2 साल तक अपनी नाबालिग बेटी का रेप करने का दोषी पाया गया था। हाई कोर्ट ने कहा कि उसे अपनी बेटी की रक्षा करनी चाहिए थी लेकिन वह खुद ही रेप करने लगा, ऐसे में वह दया का पात्र नहीं है।
केरल हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति पी.बी.सुरेश कुमार और न्यायमूर्ति सी.प्रतीप कुमार की एक बेंच ने यह सजा सुनाई है। बेटी के रेप के दोषी अब्बा ने हाई कोर्ट में निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध अपील दायर की थी। कोर्ट ने उसे को POCSO और बलात्कार के मामले में दोषी पाया था।
हाई कोर्ट ने बेटी का बलात्कार करने वाले इस दोषी को 20 साल की कठोर सजा सुनाई। अब्बा अपनी बेटी के बयानों में अंतर का सहारा लेकर कोर्ट से बचना चाह रहा था। कोर्ट ने यह दलील नहीं मानी और कहा कि कोई भी बच्चा सामान्य तौर पर अपने अब्बा के विरुद्ध ऐसे आरोप नहीं लगाएगा।
कोर्ट ने कहा, “आरोपित कोई और नहीं बल्कि नाबालिग पीड़िता का पिता है, जिसे उसकी इस तरह के यौन उत्पीड़न से उसकी रक्षा करनी चाहिए। इसके बावजूद, उसने दो साल से अधिक समय तक अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ बार-बार बलात्कार/यौन उत्पीड़न किया। ऐसी परिस्थिति में, वह किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है।”
कोर्ट ने कहा, “इस मामले में सभी तथ्यों पर विचार करते हुए, हम मानते हैं कि पीड़ित पक्ष और आरोपित दोनों के लिए न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 20 वर्ष की कठोर कारावास की सजा पर्याप्त होगी।” कोर्ट ने यह मानने से भी इनकार किया कि पीड़ित बच्ची के बयानों में अंतर है।
अपनी ही बेटी से रेप का यह मामला केरल के कन्नूर का है। यहाँ एक बच्ची की माँ ने 2017 में आरोप लगाया था कि उसका शौहर उनकी 14 वर्षीय बेटी का कई मौकों पर रेप किया। उसने इस संबंध में पुलिस को बयान भी दिया था। उसने बताया कि 2017 में जब एक दिन वह घर पर नहीं थी तो उसका अब्बा उसे बेडरूम में ले गया और उसका रेप किया।
इसके बाद उसने कई बार अपनी बेटी को हवस का शिकार बनाया। एक दिन बच्ची की अम्मी जब घर आई तो दोनों को नग्न देखा। इसके बाद वह अपनी बेटी को लेकर शौहर घर से लेकर अपने भाई के घर चली गई। बच्ची ने यहाँ एक नए स्कूल में दाखिल लिया और इसी दौरान उसने एक दिन काउन्सलिंग के दौरान यह खुलासा एक टीचर से किया।
उन्होंने यह बात बाल हेल्पलाइन तक पहुँचाई। इसके बाद इस मामले में FIR दर्ज की गई। मामले में निचली अदालत ने बच्ची के अब्बा को दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उसके ऊपर कोर्ट ने ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया था। बच्ची के अब्बा ने इस मामले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था और राहत माँगी थी। हाई कोर्ट ने उसकी दलीलें नहीं मानी। हालाँकि, उसने सजा को आजीवन कारावास से बदल कर उम्रकैद में कर दिया।