Sunday, September 22, 2024
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तिरुपति प्रसाद विवाद के बाद कर्नाटक के 34000 मंदिरों में होगा सिर्फ ‘नंदिनी’ घी इस्तेमाल, सरकार का निर्देश: Amul ने ब्रांड को बदनाम करने वाले ‘स्पिरिट ऑफ कॉन्ग्रेस’ समेत 7 पर की FIR

सोशल मीडिया पर अमूल के खिलाफ झूठी अफवाहें फैलीं, जिसमें कहा गया कि अमूल घी में पशु वसा का इस्तेमाल किया गया था। इस पर अमूल ने सफाई दी और अहमदाबाद साइबर क्राइम पुलिस ने सात एक्स उपयोगकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ। तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने के लिए घटिया घी का इस्तेमाल किया गया, जिसमें मछली, पशु की चर्बी की मिलावट पाई गई। यह विवाद तब और बढ़ गया जब सोशल मीडिया पर गलत सूचनाएँ फैलने लगीं और इसे अमूल और नंदिनी घी से जोड़ा गया। इस विवाद के बाद कर्नाटक सरकार ने राज्य के सभी मंदिरों के लिए एक नया निर्देश जारी किया, जिसके तहत मंदिरों में प्रसाद और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सिर्फ नंदिनी घी का इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं, अफवाह फैलाने वाले 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है।

कर्नाटक सरकार का नया निर्देश

कर्नाटक सरकार ने मंदिरों में उपयोग किए जाने वाले घी के संबंध में एक नया आदेश जारी किया, जिसमें राज्य के सभी 34,000 मंदिरों में सिर्फ नंदिनी घी का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए। यह निर्देश तिरुपति मंदिर में लड्डू के प्रसाद में पशु वसा के इस्तेमाल की अफवाहों के बाद आया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए मंदिरों में प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया।

नंदिनी घी के उपयोग का निर्देश: नंदिनी घी कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) द्वारा निर्मित होता है। कर्नाटक के मुझराई मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने सभी मंदिरों को निर्देशित किया कि वे नंदिनी घी का उपयोग करें। इसका उपयोग न केवल प्रसाद बनाने में होगा, बल्कि मंदिरों में दीप जलाने और अन्य धार्मिक कार्यों में भी इसका प्रयोग किया जाएगा। मंदिरों में “दसोहा भवनों” में भोजन परोसते समय भी नंदिनी घी का ही उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।

मंत्री रेड्डी ने यह भी कहा कि मंदिरों में दिए जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता की नियमित रूप से जाँच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कहीं भी कोई कमी या मिलावट न हो। मंदिरों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे प्रसाद बनाने में गुणवत्ता बनाए रखें और किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचें।

अमूल और सोशल मीडिया विवाद

जब तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद से जुड़ा यह विवाद बढ़ा, तो कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने अमूल पर निशाना साधना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कुछ अकाउंट्स ने यह दावा किया कि तिरुपति मंदिर में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में अमूल द्वारा आपूर्ति किया गया पशु वसा युक्त घी शामिल था। इस गलत सूचना के फैलने के बाद अमूल को कानूनी कार्रवाई करनी पड़ी।

अहमदाबाद साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले में सात एक्स उपयोगकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इन सात उपयोगकर्ताओं में कॉन्ग्रेस समर्थक भी शामिल थे, जिन्होंने अमूल के खिलाफ गलत सूचनाएँ फैलाईं। शिकायतकर्ता, जीसीएमएमएफ (गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन) के उप महाप्रबंधक हेमंत गवानी ने आरोप लगाया कि इन उपयोगकर्ताओं ने झूठी सूचनाओं के आधार पर अमूल को बदनाम करने की कोशिश की।

अमूल ने आरोपों को किया था खारिज

अमूल ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। अमूल ने स्पष्ट किया कि उन्होंने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को कभी भी घी की आपूर्ति नहीं की है। अमूल की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया कि उनका घी उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकों से निर्मित होता है और वह अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत तैयार किया जाता है। अमूल ने यह भी बताया कि उनका घी शुद्ध गाय के दूध से तैयार किया जाता है और इसे भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मानकों के अनुसार नियमित रूप से जाँचा जाता है।

एफआईआर और कानूनी कार्रवाई

अहमदाबाद साइबर क्राइम पुलिस ने ‘स्पिरिट ऑफ कॉन्ग्रेस’, ‘सेकुलर बंगाली’, ‘बंजारा1991’ और अन्य कुछ प्रमुख एक्स अकाउंट्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इन उपयोगकर्ताओं पर भारतीय दंड संहिता और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने इन अकाउंट्स की जाँच शुरू कर दी है और गलत सूचनाओं को फैलाने के लिए कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

एफआईआर के अनुसार, सोशल मीडिया पर झूठे दावे किए गए कि अमूल ने तिरुपति मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए घी की आपूर्ति की थी। इसके बाद यह अफवाह फैलने लगी कि तिरुपति लड्डू में पशु वसा का उपयोग हो रहा है, जो पूरी तरह से गलत था।

नंदिनी घी का तिरुपति से कॉन्ट्रैक्ट क्यों टूटा?

नंदिनी घी का तिरुपति मंदिर के साथ पुराना संबंध था। 2023 में, कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को घी की आपूर्ति करने के लिए आयोजित टेंडर में हिस्सा नहीं लिया। इसका कारण यह था कि KMF को अपने नंदिनी घी की कीमत ₹400 प्रति किलो रखनी पड़ी थी, जबकि अन्य कंपनियों ने इससे कम कीमत पर घी की आपूर्ति करने की पेशकश की।

KMF ने इस बात पर जोर दिया कि वे किसानों के हितों की रक्षा के लिए गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं करेंगे। नंदिनी घी की कीमत अधिक होने के कारण TTD ने दूसरे सप्लायर से घी खरीदने का निर्णय लिया। हालाँकि, इसके बाद से KMF ने तिरुपति मंदिर को फिर से घी की आपूर्ति शुरू कर दी है और अपनी गुणवत्ता के प्रति प्रतिबद्धता जताई है।

तिरुपति लड्डू विवाद ने घी की गुणवत्ता और उसकी आपूर्ति करने वाली कंपनियों के प्रति लोगों की चिंता को बढ़ा दिया। कर्नाटक सरकार ने इस विवाद के बाद अपने मंदिरों में नंदिनी घी के उपयोग को अनिवार्य कर दिया, जबकि अमूल को झूठी अफवाहों का सामना करना पड़ा। इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के मामलों में गुणवत्ता और पारदर्शिता बनाए रखना कितना जरूरी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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