Wednesday, December 4, 2024
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‘मोदी को मार डालो… निज्जर को किसने मारा, भारत सरकार…’: कनाडा में मंदिर के बाहर खालिस्तानियों ने लगाए आपत्तिजनक नारे, वाणिज्य दूतावास के काम को किया बाधित

कनाडाई पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने आगे कहा, "ये समूह (खालिस्तान समर्थक) विदेशी शक्तियों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन से प्रभावित हैं, और अराजकता फैलाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।" उन्होंने अपनी रिपोर्ट में खालिस्तान समर्थकों को जमकर लताड़ लगाई और कहा कि खालिस्तानी मंदिरों के समक्ष हिंसा भड़काते हैं।

खालिस्तान समर्थकों ने 30 नवंबर 2024 को कनाडा के ऑन्टोरियो प्रांत के स्कारबोरो में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के बाहर भारत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कोर्ट के रोक के बावजूद ये विरोध प्रदर्शन हुए। खालिस्तानियों ने ऐसे समय में विरोध प्रदर्शन किया, भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारी कनाडा में रहने वाले बुजुर्ग भारतीय नागरिकों को सहायता के लिए वार्षिक शिविर आयोजित कर रहे थे।

इस शिविर में बुजुर्ग भारतीय नागरिकों को जीवन प्रमाण पत्र दिया जा रहा था। यह प्रमाण पत्र भारत सरकार से पेंशन पाने के लिए एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण दस्तावेज है। हालाँकि, ये शिविर खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर आ गए हैं। इसके जरिए ये भारत सरकार के प्रयासों को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे पहले कनाडा में कई स्थानों पर सुरक्षा के कारण कई शिविर रद्द कर दिए गए थे।

मंदिर के बाहर प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान समर्थकों ने खालिस्तानी झंडे लहराए और उसके समर्थन में नारे लगाए। लाउडस्पीकर पर नारे और भाषण के जरिए इस शिविर में आए बुजुर्ग लोगों को डराने की कोशिश की गई, ताकि भारत सरकार के प्रयासों में बाधा पहुँचाई जा सके। इन शिविरों में हिंदू, सिख, मुस्लिम और ईसाई सहित विभिन्न धर्म के बुजुर्ग पेंशनभोगियों को सेवा प्रदान की जाती है।

इस प्रदर्शन को कवर कर रहे नेशनल टेलीग्राफ के पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने इसका एक वीडियो साझा किया है। अपनी रिपोर्ट में बोर्डमैन ने कहा है, “ये खालिस्तानी जिस चीज का विरोध कर रहे हैं, वह साधारण रिवर्स रेमिटेंस है – भारतीय पेंशनभोगियों द्वारा कमाया गया पैसा कनाडा में भेजा जा रहा है। उनका उद्देश्य भारत-कनाडा संबंधों को अस्थिर करना और यहां सामाजिक सद्भाव को बाधित करना है।”

कनाडाई पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने आगे कहा, “ये समूह (खालिस्तान समर्थक) विदेशी शक्तियों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन से प्रभावित हैं, और अराजकता फैलाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।” उन्होंने अपनी रिपोर्ट में खालिस्तान समर्थकों को जमकर लताड़ लगाई।

उन्होंने कहा कि कनाडा में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित इन शिविरों में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई… हर धार्मिक पृष्ठभूमि के लोग आते हैं। उन्होंने कहा, “इन शिविरों में भारत सरकार की कोई साजिश नहीं है। मैंने सिखों, हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों को शांतिपूर्वक अपनी पेंशन लेते देखा है। प्रदर्शनकारियों के दावे निराधार और हरकतें खतरनाक हैं, क्योंकि वे मंदिरों जैसे स्थानों के खिलाफ हिंसा भड़काते हैं।”

एक वीडियो में खालिस्तान समर्थकों को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौत की कामना करते हुए नारे लगाते हुए सुना जा सका है। खालिस्तानियों ने ‘मोदी को मार डालो’ जैसे आपत्तिजनक नारे लगाते लगाए। वहीं, एक दूसरे वीडियो में खालिस्तानियों को ‘निज्जर को किसने मारा, भारत सरकार’ के नारे लगाते हुए सुना गया।

सुरक्षा के लिए कोर्ट ने उठाया कदम

इन शिविरों के आसपास बढ़ते तनाव के बीच ऑन्टोरियो में सुपीरियर कोर्ट ऑफ जस्टिस ने हस्तक्षेप किया। कोर्ट ने शिविर के दौरान प्रदर्शनकारियों को मंदिर के 100 मीटर के दायरे में इकट्ठा होने से रोकने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा, “प्रशासनिक कांसुलर सेवाओं और पूजा के लिए मंदिर में आने वाले बुजुर्गों को डराना उनके और उस समुदाय के लिए नुकसानदेह है, जिसका प्रतिनिधित्व मंदिर करता है।”

अदालत ने टोरंटो पुलिस और ऑन्टोरियो प्रांतीय पुलिस सहित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को गिरफ्तार करने तथा वस्तुओं और संरचनाओं को हटाने का अधिकार दिया है। इससे पहले वैंकूवर में खालसा दीवान सोसाइटी के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे को भी ऐसा ही आदेश दिया गया था, जिसने पुलिस सुरक्षा में वाणिज्य दूतावास शिविर की शांतिपूर्वक मेजबानी की थी।

कनाडा में सुरक्षा चुनौतियाँ

इन शिविरों के कारण कनाडा में भारतीय राजनयिक प्रयासों की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। बता दें कि नवंबर की शुरुआत में ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में एक वाणिज्य दूतावास शिविर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला कर दिया था। इस मामले में कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। इस घटना के बाद भारतीय वाणिज्य दूतावास ने ओकविले में वैष्णो देवी मंदिर सहित कई शिविरों को रद्द कर दिया था।

इसके अलावा, हिंसा की धमकियों के कारण कुछ स्थानों पर वाणिज्य दूतावास शिविरों को स्थानांतरित करना पड़ा या आयोजन को पूरी तरह से रद्द करना पड़ा। टोरंटो में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने सार्वजनिक रूप से अपनी चिंताएँ व्यक्त करते हुए कहा था, “यहां तक ​​कि न्यूनतम सुरक्षा गारंटी भी प्रदान नहीं की जा रही है, जिससे यह उपस्थित लोगों और आयोजकों के लिए असुरक्षित हो रहा है।”

बता दें कि ब्रैम्पटन और सरे में हिंदू मंदिरों पर खालिस्तानियों ने 3 नवंबर को हमला कर दिया था। उस समय स्थानीय लोगों की मदद के लिए एक वाणिज्य दूतावास शिविर चल रहा था। ब्रैम्पटन में खालिस्तानियों को हिंदू सभा मंदिर परिसर में लाठी लेकर घुसते हमला करते देखा गया। भारतीय उच्चायोग ने संभावित खतरों के बीच कनाडाई पुलिस से सहायता माँगी थी, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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