महाराष्ट्र के राजनैतिक गलियारों में बढ़ती हलचल से अब स्थिति और भी ज्यादा उलझने लगी हैं। खबरों के अनुसार हाल ही में भाजपा द्वारा राज्य में सरकार बनाने से मना करने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया है। इसके लिए उन्होंने शिवसेना के एकनाथ शिंदे (विधायक दल के नेता) से सोमवार को शाम 7:30 बजे तक उनकी पार्टी की इच्छा और आँकड़ों की जानकारी देने की बात कही।
जिसके बाद कॉन्ग्रेस एनसीपी के साथ मिलकर शिवसेना द्वारा सरकार बनाने की गतिविधियाँ तेज हो गई और अरविंद सांवत ने अपने सांसद पद से इस्तीफा भी दे दिया। हालाँकि, इसपर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उनके पास इस्तीफे की कोई सूचना नहीं हैं और साफ़ किया है कि वो जो भी फैसला करेंगे उसे कॉन्ग्रेस के साथ चर्चा के बाद ही लेंगे।
Sanjay Raut, Shiv Sena on Governor’s invite to Shiv Sena to ‘indicate willingness to form govt in Maharashtra’: It would have been easy if Governor had given us more time.BJP was given 72 hrs;we’ve been given lesser time. It’s a strategy of BJP to impose President’s rule in state https://t.co/Je9QGtaafX pic.twitter.com/I45sOCAw6n
— ANI (@ANI) November 11, 2019
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद भी सरकार के गठन में हो रही देरी के लिए शिवसेना ने भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा है कि यह भाजपा का अहंकार है कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने से इंकार कर रही हैं। संजय राउत ने इसे जनता का अपमान बताया है और कहा है कि भाजपा विपक्ष में बैठने के लिए तैयार है लेकिन वे 50-50 का फॉर्मूला मानने के लिए राजी नहीं हैं।
शिवसेना नेता ने अपने बयान में राज्यपाल पर भी निशाना साधा और कहा कि यदि उन्हें अधिक समय दिया गया होता, तो उनके लिए सरकार बनाना आसान होता। यहाँ बता दें कि राज्यपाल ने सरकार गठन के लिए भाजपा को 72 घंटे का समय दिया है, जबकि शिवसेना को उनके मुकाबले थोड़ा कम समय मिला है। राउत के अनुसार ये सब भाजपा की साजिश है, क्योंकि वे राज्य में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाहती है।
इधर, दिल्ली में सोनिया गाँधी के आवास पर अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे कॉन्ग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल होने पहुँचे हैं। उधर महाराष्ट्र में संजय राउत भी उद्धव ठाकरे से मिलने उनके आवास पर पहुँचे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कहा जा रहा है कि राज्यपाल के निमंत्रण के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। लेकिन शिवसेना के सामने एनसीपी ने यह शर्त रख दी कि वह भाजपा के सभी रिश्ते खत्म करे और मोदी सरकार में उनके सभी मत्री इस्तीफा दें, तभी वे सरकार बनाने के बारे में सोचेंगे।
इसके अलावा, मुंबई कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने भी राज्य के उन नेताओं की आलोचना की है जो महाराष्ट्र में अगली सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि पिछले चुनाव शिवसेना के साथ साझेदारी करने पर सवाल खड़े करते हैं।
Can we contest future elections with Shiv Sena as ally, asks Congress’ Sanjay Nirupam
— ANI Digital (@ani_digital) November 11, 2019
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उनका कहना है, “सवाल यह नहीं है कि महाराष्ट्र में सरकार कैसे और किस तरह से बनती है। राज्य में राजनीतिक अस्थिरता से इनकार नहीं किया जा सकता है। समय से पहले हमें चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए, हो सकता है कि 2020 में चुनाव भी हो। क्या हम शिवसेना के साथ चुनाव में जा सकते हैं।” निरुपम ने शिवसेना-कॉन्ग्रेस और एनसीपी के गठन को आत्मघाती कदम बताया है।
उन्होंने कहा है कि अल्पकालिक अवधि के लिए हम सरकार तो बना सकते हैं। जनता से कह भी सकते हैं कि राज्य के विकास के लिए इस तरह का कदम जरूरी था। लेकिन वैचारिक स्तर पर जिस पार्टी से हमारा दशकों विरोध रहा है उन सवालों का जवाब चुनावों में कैसे दे सकते हैं।